सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों से बढ़ती कीमतों पर स्पष्टीकरण मांगा

सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों से बढ़ती कीमतों पर स्पष्टीकरण मांगा

  •  
  • Publish Date - September 20, 2024 / 07:16 PM IST,
    Updated On - September 20, 2024 / 07:16 PM IST

नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को खाद्य तेल कंपनियों से खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी के लिए स्पष्टीकरण मांगा।

इन तेल कंपनियों को कम आयात शुल्क पर आयातित खाद्यतेलों की पर्याप्त स्टॉक की उपलब्धता के बीच मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने की सलाह दी गयी थी। इसके बावजूद कीमतों में वृद्धि का रुख है।

केंद्र ने 14 सितंबर को, घरेलू तिलहन कीमतों का समर्थन करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों के मूल सीमा शुल्क में वृद्धि की और इसके बाद 17 सितंबर को खाद्य मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए खाद्य तेल उद्योग निकायों के साथ एक बैठक बुलाई कि खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि न हो।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा, ‘‘उद्योग से स्पष्टीकरण देने और कारण बताने के लिए कहा गया है कि आने वाले त्योहारों के दौरान खुदरा कीमतों को नरम बनाए रखने के सरकार के निर्देशों के बावजूद आयात शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद से कीमतों में बढ़ोतरी का रुख क्यों दिख रहा है।’’

मंत्रालय का कहना है कि कम शुल्क पर आयातित स्टॉक आसानी से 45-50 दिनों तक चल सकता है और इसलिए प्रसंस्करणकर्ताओं को अधिकतम खुदरा कीमतों में वृद्धि से बचना चाहिए। साथ ही, कीमतों में वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब त्योहार नजदीक है और मांग बढ़ेगी।

कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क 27.5 प्रतिशत हो गया है। नया शुल्क 14 सितंबर, 2024 से प्रभावी है।

इसके अतिरिक्त, रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर मूल सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत हो गया है।

मंगलवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए), इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एसओपीए) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की।

एक सरकारी बयान में कहा गया था, ‘‘प्रमुख खाद्य तेल संघों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि शून्य प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) पर आयातित खाद्य तेल स्टॉक की उपलब्धता तक तेल की कीमत नरम रखी जाए और अपने सदस्यों के साथ इस मुद्दे को तुरंत उठाया जाए।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार को यह भी पता है कि कम शुल्क पर आयातित खाद्य तेलों का करीब 30 लाख टन स्टॉक है जो 45 से 50 दिनों की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है।’’

घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है। आयात पर निर्भरता कुल आवश्यकता का 50 प्रतिशत से अधिक की है।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण