सरकार ने भौगोलिक संकेत कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा

सरकार ने भौगोलिक संकेत कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा

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  • Publish Date - October 1, 2024 / 04:18 PM IST,
    Updated On - October 1, 2024 / 04:18 PM IST

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) सरकार वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (जीआई) कानून में संशोधन करने की योजना बना रही है। इसके लिए आम जनता और संबंधित हितधारकों से टिप्पणियां मांगी गई हैं।

हितधारक 10 अक्टूबर तक अपनी टिप्पणियां और सुझाव दे सकते हैं।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक सार्वजनिक नोटिस में कहा, ‘‘उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 में संशोधन करने की प्रक्रिया में है।’’

जीआई मुख्य रूप से एक कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है, जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में मिलता है।

आमतौर पर ऐसा नाम गुणवत्ता और विशिष्टता का भरोसा देता है, जो इसके मूल स्थान के कारण होता है।

जीआई उत्पादों के पंजीकरण की एक निश्चित प्रक्रिया है, जिसमें आवेदन दाखिल करना, प्रारंभिक जांच और परीक्षण, कारण बताओ नोटिस, भौगोलिक संकेत शोध पत्र में प्रकाशन, पंजीकरण पर आपत्ति और पंजीकरण शामिल है।

यह एक कानूनी अधिकार है, जिसके तहत जीआई धारक दूसरों को उस नाम का इस्तेमाल करने से रोक सकता है।

जीआई का दर्जा पाने वाले प्रसिद्ध उत्पादों में बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी कपड़ा, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजावुर पेंटिंग, इलाहाबाद सुर्खा, फर्रुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय