नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) सरकार विदेश से निवेश आने के बाद उसकी समीक्षा और निगरानी के लिए एक विदेशी निवेश नियामक तंत्र स्थापित करने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल इसपर चर्चा ही शुरू हुई है।
एक सूत्र ने कहा, “देखा गया है कि सभी देश अपने देश में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर निगरानी रखते हैं। लोग सुझाव देते हैं कि भारत में भी निगरानी तंत्र होना चाहिए। यह एक तरह से एफडीआई के रूप में देश में आने वाले धन की निगरानी है।”
इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि देश में आने वाला एफडीआई अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक है और वैध स्रोतों से आ रहा है।
भारत अपनी बड़ी आबादी, स्थिर नीतियों, जनसांख्यिकीय लाभांश, अच्छे निवेश रिटर्न और कुशल कार्यबल के कारण एफडीआई के लिए एक प्रमुख गंतव्य है।
सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें प्रक्रियाओं को सरल बनाकर कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देना और उद्योग के लिए अनुपालन बोझ को काफी कम करना शामिल है।
सरकार ने अंतरिक्ष, ई-कॉमर्स, फार्मा, नागर विमानन, अनुबंध निर्माण, डिजिटल मीडिया, कोयला खनन और रक्षा जैसे कई क्षेत्रों में एफडीआई मानदंडों को आसान बना दिया है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स और बड़े इलेक्ट्रिक उत्पाद जैसे 14 क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की है।
अधिकारी ने कहा कि कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने, भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित प्रयासों से ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने और देश में घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिली है।
भाषा अनुराग अजय
अजय
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