वैश्विक अनिश्चितता से भारत के लिए अपने वृद्धि अनुमान को घटायाः नीति आयोग सदस्य

वैश्विक अनिश्चितता से भारत के लिए अपने वृद्धि अनुमान को घटायाः नीति आयोग सदस्य

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  • Publish Date - January 18, 2025 / 07:55 PM IST,
    Updated On - January 18, 2025 / 07:55 PM IST

कोलकाता, 18 जनवरी (भाषा) नीति आयोग के सदस्य एवं अर्थशास्त्री अरविंद विरमानी ने शनिवार को कहा कि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं और जोखिमों के कारण उन्होंने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर संबंधी अपने अनुमान को मामूली रूप से संशोधित कर दिया है।

पहले देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 6.5-7.5 प्रतिशत की सीमा में रहने का अनुमान लगाने वाले विरमानी ने अब अनुमान को संशोधित कर 6.5-7.0 प्रतिशत कर दिया है। वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों से उत्पन्न जोखिम से बचने की बढ़ती प्रवृत्ति के बीच इसके सात प्रतिशत से कम रहने की आशंका है।

विरमानी ने कहा, “साल की शुरुआत से ही मेरा ध्यान 0.5 प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ सात प्रतिशत पर था। इसका मतलब है कि वृद्धि दर 6.5-7.5 प्रतिशत के बीच रहेगी। लेकिन अब मैं इसे संशोधित कर 6.5-7.0 प्रतिशत कर रहा हूं। अमेरिकी चुनावों से पैदा हुई राजनीतिक अनिश्चितताएं मेरे अनुमान से कहीं अधिक हैं।”

उन्होंने एमसीसीआई के साथ एक संवाद सत्र से इतर कहा, “अमेरिकी चुनाव की अनिश्चितता का व्यापक प्रभाव पड़ रहा है, जिसका यूरोप, चीन और अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ रहा है, तथा इसका परोक्ष प्रभाव भारत पर भी पड़ रहा है।”

विरमानी ने चीन की अर्थव्यवस्था में व्याप्त मंदी पर प्रकाश डालते हुए कहा, “चीन की अत्यधिक क्षमता और उसकी धीमी होती अर्थव्यवस्था ने वैश्विक अनिश्चितता और जोखिम से बचने की प्रवृत्ति को बढ़ा दिया है। इससे भारत की वृद्धि दर पर भी असर पड़ सकता है।”

इन चुनौतियों के बावजूद विरमानी भारत की दीर्घकालिक संभावनाओं को लेकर आशावादी बने हुए हैं।

उन्होंने कहा, “अगर भारत अगले 25 वर्षों तक छह प्रतिशत की वृद्धि दर बनाए रखता है, तो यह उच्च-मध्यम आय या यहां तक ​​कि उच्च आय वाला देश बनने की भी स्थिति में है, जिससे यह चीन के करीब पहुंच जाएगा।”

भाषा अनुराग प्रेम

प्रेम