कम कार्बन उत्सर्जन वाले उन्नत चूल्हों के लिए घाना ने भारत के स्टार्ट-अप से हाथ मिलाया

कम कार्बन उत्सर्जन वाले उन्नत चूल्हों के लिए घाना ने भारत के स्टार्ट-अप से हाथ मिलाया

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  • Publish Date - November 7, 2024 / 04:44 PM IST,
    Updated On - November 7, 2024 / 04:44 PM IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), सात नवंबर (भाषा) पेरिस समझौते के मुताबिक पर्यावरण बचाने के लिए घाना सरकार ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के एक स्टार्ट-अप से करार किया है जिसके तहत अपेक्षाकृत कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले 10 लाख उन्नत चूल्हों का घाना में विनिर्माण होगा और उनका वहां लोगों में निःशुल्क वितरण किया जाएगा। स्टार्ट-अप कंपनी के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

बेटर प्लेनेट फुटप्रिंट्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमित गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने घाना के ऊर्जा मंत्रालय के साथ करार किया है। इसके तहत हम पेरिस समझौते के अनुच्छेद छह के मुताबिक घाना में खाना पकाने वाले 10 लाख उन्नत चूल्हों के उत्पादन और वितरण की परियोजना को अमली जामा पहनाने में वहां की सरकार की मदद करेंगे।’’

गुप्ता ने बताया कि करीब 425 करोड़ रुपये की इस परियोजना के तहत अगले साल की पहली तिमाही में घाना में चूल्हों का उत्पादन शुरू होगा और परियोजना के पांच से सात साल में पूरा होने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि ये चूल्हे हालांकि लकड़ी और चारकोल जैसे परंपरागत ईंधनों से जलेंगे, लेकिन अपनी उन्नत तकनीक के कारण इनसे कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) और अन्य ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम होगा।

गुप्ता ने कहा,‘‘हमारा अनुमान है कि घाना में बांटे जाने वाले 10 लाख चूल्हों के इस्तेमाल से परियोजना अवधि में सीओ2 का 1.25 से 1.50 करोड़ टन उत्सर्जन घटेगा। इससे 1.25 से 1.50 करोड़ कार्बन क्रेडिट सृजित होंगे।’’

घाना के ऊर्जा मंत्रालय के नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के उप निदेशक सेठ माहू ने कहा कि इंदौर के स्टार्ट-अप के साथ हुए करार से देश को पेरिस समझौते के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा,‘‘हमें उम्मीद है कि इस करार से घाना और भारत के बीच हरित ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में आपसी सहयोग और निवेश के अवसर बढ़ेंगे।’’

भाषा हर्ष नोमान अनुराग

अनुराग