रत्न, आभूषण उद्योग की बजट में जीएसटी घटाकर एक प्रतिशत करने की मांग

रत्न, आभूषण उद्योग की बजट में जीएसटी घटाकर एक प्रतिशत करने की मांग

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  • Publish Date - January 7, 2025 / 06:54 PM IST,
    Updated On - January 7, 2025 / 06:54 PM IST

मुंबई, सात जनवरी (भाषा) रत्न और आभूषण क्षेत्र ने सरकार से आगामी बजट में उद्योग पर लागत का बोझ कम करने के लिए राजस्व पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को घटाकर एक प्रतिशत करने का आग्रह किया है।

अखिल भारतीय रत्न और आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) के चेयरमैन राजेश रोकड़े ने मंगलवार को बयान में कहा, ‘‘हम करों को युक्तिसंगत बनाने और कारोबार को समर्थन देने के लिए वित्त की उपलब्धता चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सोने की लगातार बढ़ती कीमतों के साथ जीएसटी की मौजूदा दर उद्योग और अंतिम ग्राहकों के लिए बोझ बनती जा रही है।

रोकड़े ने कहा कि इसलिए, जीजेसी आगामी बजट में जीएसटी को मौजूदा तीन प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत करने का आग्रह कर रही है, जिससे अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि कर में कमी से उपभोक्ताओं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सामर्थ्य बढ़ेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि औपचारिक अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि करके राजस्व संग्रह में सुधार किया जा सकेगा।

उद्योग के शीर्ष निकाय ने कहा कि प्रयोगशाला में बनाए गए हीरों के लिए रियायती जीएसटी दर लागू करने की आवश्यकता है, ताकि प्राकृतिक हीरों की तुलना में उनके टिकाऊ और लागत प्रभावी गुणों को पूरी तरह से पहचाना जा सके।

वर्तमान में, प्राकृतिक और प्रयोगशाला में उगाए गए दोनों ही हीरों पर एक ही जीएसटी दर लागू है।

जीजेसी ने सरकार से एक समर्पित मंत्रालय बनाने और राज्यवार नोडल कार्यालयों और विशेष रूप से आभूषण क्षेत्र के लिए एक केंद्रीय मंत्री की नियुक्ति करने का आग्रह किया।

जीजेसी के वाइस चेयरमैन अविनाश गुप्ता ने कहा, ‘‘हम सरकार से आभूषणों के लिए ईएमआई पर विचार करने का अनुरोध करते हैं, जो उद्योग की लंबे समय से मांग रही है। स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में भी सुधार की आवश्यकता है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में बेकार पड़े घरेलू सोने को बाहर निकालने की क्षमता है और इस प्रकार हमें आत्मनिर्भर बनने और कम आयात करने में मदद मिलेगी।’’

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय