(मनोज राममोहन)
नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) इंजन विनिर्माता कंपनी जीई एयरोस्पेस भारत से कलपुर्जों की आपूर्ति बढ़ाने की योजना बना रही है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत एक बढ़ता हुआ विमानन बाजार है।
कंपनी की एक विनिर्माण इकाई पुणे में है और बेंगलुरु में जॉन एफ वेल्च प्रौद्योगिकी केंद्र है। वर्तमान में, इसके 13 प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं, जिनमें टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) भी शामिल है।
जीई एयरोस्पेस के वाणिज्यिक कार्यक्रम के समूह उपाध्यक्ष महेंद्र नायर ने कहा कि आपूर्ति शृंखला में भारत का योगदान बढ़ेगा।
नायर ने हाल ही में नयी दिल्ली में पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, “भारत में हमारे पास कुछ बहुत ही सक्षम कंपनियां हैं जिनके पास सही इंजीनियरिंग प्रतिभा, सही उत्पादन क्षमता है और जब तक वे उन तकनीकी मानकों को पूरा कर सकती हैं जिनकी हम तलाश कर रहे हैं, तब तक उनसे खरीद में वृद्धि होगी।”
उन्होंने कहा, “भारत एक ऐसा बाजार है जो आगे बढ़ने वाला है और इसलिए हमारे लिए यहां से और अधिक खरीद जारी रखना उचित है।”
जीई एयरोस्पेस के दक्षिण एशिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विक्रम राय ने कहा कि 2018 से 2022 की अवधि के दौरान कंपनी की खरीद 20 गुना बढ़ गई है।
भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते नागर विमानन बाजारों में से एक है और घरेलू विमानन कंपनियां अपने बेड़े का विस्तार कर रही हैं।
वैश्विक आपूर्ति शृंखला की स्थिति के बारे में नायर ने कहा कि विमानन उद्योग में स्थिति ‘कठिन’ है।
नायर ने कहा, “आपूर्ति शृंखला को बेहतर होने में कम से कम दो साल और लगेंगे। इसकी वजह यह है कि आपूर्ति शृंखला पर मांग हर साल 25 प्रतिशत बढ़ रही है।”
जीई एयरोस्पेस का सफ्रान एयरक्राफ्ट इंजन्स के साथ भी बराबर का संयुक्त उद्यम है, जिसे सीएफएम कहा जाता है। यह ‘लीप’ इंजन बनाती है, जिसका उपयोग भारत में कई छोटे विमानों में किया जाता है।
वर्तमान में, भारतीय विमान सेवा कंपनियों के विभिन्न विमानों में जीई एयरोस्पेस और सीएफएम के लगभग 1,300 इंजन लगे हैं।
भाषा अनुराग अजय
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