नयी दिल्ली, नौ फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर और जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. सी. रंगराजन ने कहा है कि पारदर्शी व्यवस्था वाले देशों के साथ ही मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि ऐसे में भारत को उन देशों के साथ एफटीए का लाभ उठाने का लक्ष्य रखना चाहिए जिनके पास पारदर्शी तथा मजबूत व्यापार प्रणाली हैं।
रंगराजन ने यह भी कहा कि नौकरियां बढ़ाने के लिए श्रम प्रधान प्रासंगिक क्षेत्रों की पहचान कर वहां पर काम करने के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की जरूरत है।
आर्थिक और सार्वजनिक नीतियों पर काम करने वाला शोध संगठन कट्स इंटरनेशनल के 40वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम उन्होंने कहा, ‘‘भारत को उन देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ उठाने का लक्ष्य रखना चाहिए जिनके पास पारदर्शी व्यापार तंत्र तथा मजबूत व्यापार प्रणाली हैं।’’
रंगराजन ने यह भी कहा कि इस तरह की पहल (एफटीए) की सफलता श्रम बल की भागीदारी को बढ़ाकर अपने जनसंख्या संबंधी लाभ को भुनाने की भारत की क्षमता पर निर्भर करती है। इसमें उन्हें और हुनरमंद बनाने का कदम भी शामिल है।”
उल्लेखनीय है कि भारत वर्तमान में ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, ओमान आदि देशों के साथ एफटीए पर बातचीत कर रहा है।
चेन्नई में ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि संभावना’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘गरीबी उन्मूलन हमारी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर होना चाहिए और गरीबी मापने में व्यय के संकेतकों के साथ-साथ बहुआयामी (विभिन्न स्तरों पर) गरीबी की माप दोनों शामिल होने चाहिए।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘निवेश उपभोग या उपभोग की मांग पर आधारित नहीं होना चाहिए बल्कि यह इस रूप से हो जिससे उपभोग की मांग पैदा करे।’
रंगराजन ने कहा “निवेश बढ़ाने के लिऐ अनुकूल परिवेश को बढ़ावा देना जरूरी है। इसके लिए आर्थिक और गैर-आर्थिक दोनों कारकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। दीर्घकालिक आर्थिक समृद्धि के लिए निवेश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाना आवश्यक है।’’
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने श्रम प्रधान क्षेत्रों की पहचान करते हुए रोजगार सृजन की भी बात कही।
उन्होंने कहा, ‘‘नौकरियां बढ़ाने के लिए श्रम प्रधान प्रासंगिक क्षेत्रों की पहचान कर वहां काम करने के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की जरूरत है।’’
इस मौके पर कट्स इंटरनेशनल के महासचिव प्रदीप एस. मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार का आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण अपनी जरूरतों और वैश्विक अर्थव्यवस्था दोनों में पर्याप्त योगदान देना है।
भाषा निहारिका रमण
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