चीन से विदेशी निवेश से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ा सकता है भारत : समीक्षा

चीन से विदेशी निवेश से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ा सकता है भारत : समीक्षा

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  • Publish Date - July 22, 2024 / 01:29 PM IST,
    Updated On - July 22, 2024 / 01:29 PM IST

(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह बढ़ने से भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में अपनी भागीदारी को बढ़ाना चाहता है। इसलिए उसे पूर्वी एशिया की अर्थव्यवस्थाओं की सफलताओं तथा रणनीतियों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इन अर्थव्यवस्थाओं ने आमतौर पर दो मुख्य रणनीतियों का अनुसरण किया है…व्यापार लागत को कम करना और विदेशी निवेश को सुगम बनाना।

इसमें कहा गया कि भारत के पास ‘चीन प्लस वन’ रणनीति से लाभ उठाने के लिए दो विकल्प हैं.. या तो वह चीन की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो जाए या फिर चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है, ‘‘ इन विकल्पों में से चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिका को भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक प्रतीत होता है, जैसा कि पूर्व में पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने किया था।’’

इसके अलावा, ‘चीन प्लस वन’ दृष्टिकोण से लाभ प्राप्त करने के लिए एफडीआई को एक रणनीति के रूप में चुनना, व्यापार पर निर्भर रहने की तुलना में अधिक लाभप्रद प्रतीत होता है।

समीक्षा कहती है, ‘‘ ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन भारत का शीर्ष आयात भागीदार है और चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ रहा है। चूंकि अमेरिका तथा यूरोप अपनी तत्काल आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं। इसलिए चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है, बजाय इसके कि वे चीन से आयात करें, न्यूनतम मूल्य जोड़ें और फिर उन्हें पुनः निर्यात करें।’’

इसमें बताया गया कि चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

किसी भी क्षेत्र में वर्तमान में चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है।

भारत में अप्रैल, 2000 से मार्च, 2024 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी प्रवाह में चीन केवल 0.37 प्रतिशत (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) हिस्सेदारी के साथ 22वें स्थान पर था।

भाषा निहारिका अजय

अजय