Flight Wi-Fi Service: नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उड़ान के दौरान यात्री वाई-फाई के जरिये इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल केवल तभी कर पाएंगे जब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच चुके विमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति होगी।
सरकार ने उड़ान और समुद्री संपर्क नियम, 2018 के तहत विमान के भारतीय हवाई क्षेत्र में 3,000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद ही मोबाइल संचार सेवाएं देने की अनुमति दी हुई है। ऐसा स्थलीय मोबाइल नेटवर्क के साथ हस्तक्षेप से बचने के लिए किया गया है। इस संदर्भ में सरकार ने अधिसूचित नए नियम में कहा, ‘‘उप-नियम (एक) में निर्दिष्ट भारतीय हवाई क्षेत्र में न्यूनतम ऊंचाई होने के बावजूद विमान में वाई-फाई के जरिये इंटरनेट सेवाएं तभी उपलब्ध कराई जाएंगी, जब विमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति होगी।’’ नए अधिसूचित नियम को उड़ान और समुद्री संपर्क (संशोधन) नियम, 2024 कहा जाएगा।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इसके लिए एक अधिसूचना जारी कर विमान अधिनियम, 1937 में बदलाव किया है। इसके अनुसार, ‘पायलट इन कमांड उड़ान के दौरान वाई-फाई के माध्यम से यात्रियों को इंटरनेट के इस्तेमाल की अनुमति दे सकता है।’ यात्री इंटरनेट के जरिए लैपटॉप, स्मार्टफोन, ई रीडर, स्मार्टवॉच या टैबलेट जैसे उपकरणों का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सेवा उस समय के लिए पायलट द्वारा स्थगित की जा सकती है जब मौसम खराब हो और विजिबिलिटी बहुत कम हो। बता दें कि, एयरक्राफ्ट कानून 1937 के रूल 29बी के तहत यह नियम बनाया गया है कि कोई भी यात्री या पायलट फ्लाइट में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करेगा। लेकिन, अब मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के तहत सब रूल 1 के आधार पर पायलट इन कमांड इस सेवा को उपलब्ध करा सकता है।