नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) ने संदिग्ध लेनदेन के बारे में जानकारी न देने और मुंबई स्थित एक शाखा में कुछ खातों की पीएमएलए के तहत उचित पड़ताल नहीं करने के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर 54 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
वित्त मंत्रालय के तहत संचालित एफआईयू ने एक अक्टूबर को धनशोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 13 के तहत जुर्माना नोटिस जारी किया। एजेंसी ने कहा कि बैंक की लिखित एवं मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद उसके खिलाफ लगे आरोपों को पुष्ट पाया गया।
एफआईयू ने इस मामले की जांच के दौरान बैंक के परिचालन की ‘व्यापक समीक्षा’ में अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) और धनशोधन-रोधी (एएमएल) अनुपालन से संबंधित कुछ ‘अनियमितताएं’ पाई गईं।
पीटीआई-भाषा के पास उपलब्ध सार्वजनिक आदेश के मुताबिक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई के हिल रोड शाखा में संचालित विशिष्ट चालू खातों की एक स्वतंत्र जांच से पता चला है कि एक एनबीएफसी और उससे जुड़ी इकाइयों के खाते में सामान्य नियंत्रण वाली इकाइयों के जरिये बड़े पैमाने पर पैसे भेजे जा रहे थे।
एफआईयू ने पाया कि एक ही पंजीकृत पते और समान लाभकारी मालिकों वाली संस्थाओं से जुड़ी ‘कई गंभीर अनियमितताएं’ पाई गईं। एजेंसी ने कहा कि इन खातों की बैंक की जांच अपर्याप्त थी क्योंकि केवल एक संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) दायर की गई थी जबकि संबंधित खाते में लेनदेन की अधिक राशि और कई अलर्ट जारी किए गए थे।
एफआईयू ने कहा कि बैंक की उचित पड़ताल और निगरानी की पर्याप्तता के बारे में चिंताएं पैदा होने के बाद उसे एक नोटिस जारी किया गया और उसका जवाब आने के बाद यह कार्रवाई की गई। बैंक पर 54 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
एफआईयू ने कहा, ‘‘बैंक अपने आंतरिक तंत्र और लेनदेन निगरानी दृष्टिकोण का पुनर्मूल्यांकन करेगा, खासकर जहां ग्राहक खाते पर बड़ी संख्या में अलर्ट उत्पन्न होते हैं, लेकिन बाद में सरसरी तौर पर बंद कर दिए जाते हैं।’’
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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