चुनावी राज्यों की राजकोषीय फिजूलखर्ची पर करीबी निगाह रखने की जरूरतः रिपोर्ट |

चुनावी राज्यों की राजकोषीय फिजूलखर्ची पर करीबी निगाह रखने की जरूरतः रिपोर्ट

चुनावी राज्यों की राजकोषीय फिजूलखर्ची पर करीबी निगाह रखने की जरूरतः रिपोर्ट

:   Modified Date:  September 27, 2024 / 06:49 PM IST, Published Date : September 27, 2024/6:49 pm IST

मुंबई, 27 सितंबर (भाषा) स्विस ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस ने शुक्रवार को कहा कि चुनावी प्रक्रिया से गुजरने वाले राज्यों में राजकोषीय फिजूलखर्ची पर करीबी निगाह रखने की जरूरत है क्योंकि कल्याणकारी उपायों पर अधिक खर्च आने वाले वर्षों में पूंजीगत व्यय को प्रभावित करेगा।

यूबीएस सिक्योरिटीज की इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में चुनावी प्रक्रिया से गुजर चुके या आने वाले समय में प्रस्तावित चुनावों वाले कुल 11 राज्यों में से चार ने अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य बढ़ा दिए हैं। ऐसा करने वाले राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा हैं।

रिपोर्ट कहती है कि चुनाव वाले राज्यों में हाल ही में देखी गई राजकोषीय फिजूलखर्ची पर करीबी निगाह रखने की जरूरत है।

इसी के साथ इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य अपने राजकोषीय घाटे को 15वें वित्त आयोग द्वारा प्रस्तावित तीन प्रतिशत के स्तर के भीतर रख पाने में कामयाब रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार भी राजकोषीय घाटे को कम करने की कोशिशों में लगी हुई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव वाले राज्य अपने कल्याणकारी कदमों पर खर्च और प्रोत्साहन को बढ़ा रहे हैं। इसकी वजह से जून या जुलाई में पेश किए गए उनके बजट में वित्त वर्ष 2024-25 के कुल राजकोषीय घाटे के अनुमान में 0.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है।

रिपोर्ट कहती है, ‘हमारा मानना ​​है कि आने वाले वर्षों में लोकलुभावन वादों पर अधिक राजस्व व्यय के कारण राज्यों के अपने पूंजीगत व्यय पर भी इसका असर पड़ सकता है।’

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार ने महिलाओं के खातों में 1,500 रुपये जमा करने की घोषणा की है। इससे सरकारी कोष पर सालाना 35,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।

यूबीएस ब्रोकरेज ने कहा कि भारत की खपत वृद्धि चालू वित्त वर्ष में छह प्रतिशत से अधिक हो जाएगी जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह चार प्रतिशत थी। हालांकि इस तेजी के बाद भी यह दीर्घकालिक औसत से पीछे रहेगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जीडीपी वृद्धि आर्थिक समीक्षा में बताए गए 6.5-7 प्रतिशत के स्तर पर ही रहेगी और रिजर्व बैंक के 7.2 प्रतिशत के अनुमान तक नहीं पहुंच पाएगी।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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