अप्रैल-नवंबर के दौरान देश में एफडीआई प्रवाह 17.2 प्रतिशत बढ़कर 55.6 अरब डॉलर पर : समीक्षा

अप्रैल-नवंबर के दौरान देश में एफडीआई प्रवाह 17.2 प्रतिशत बढ़कर 55.6 अरब डॉलर पर : समीक्षा

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 03:37 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 03:37 PM IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) चालू वित्त वर्ष में बढ़ा है। यह 2024-25 में अप्रैल-नंबवर के दौरान 17.2 प्रतिशत बढ़कर 55.6 अरब डॉलर हो गया। संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है।

बीते वित्त वर्ष 2023-24 के पहले आठ महीने में यह 47.2 अरब डॉलर था।

समीक्षा में कहा गया है कि मुद्रास्फीतिक दबाव, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती ब्याज दरों और वैश्विक स्तर पर तनाव जैसे कारणों से वैश्विक बाजारों में अल्पकालिक अस्थिरता है, इसके बावजूद, भारत में एफडीआई के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण अनुकूल बना हुआ है।

समीक्षा के अनुसार, ‘‘वित्त वर्ष 2024-25 के पहले आठ महीनों में एफडीआई प्रवाह में सुधार के संकेत हैं। हालांकि, पैसा स्वदेश भेजने/विनिवेश में वृद्धि के कारण अप्रैल-नवंबर, 2023 की तुलना में शुद्ध एफडीआई प्रवाह में कमी आई है।’’

इसमें यह भी कहा गया, ‘‘भारत में एफडीआई प्रवाह अप्रैल, 2000 से सितंबर, 2024 तक 1,000 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। इससे एक सुरक्षित और महत्वपूर्ण वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में देश की स्थिति मजबूत हुई।’’

समीक्षा में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र ने सबसे ज्यादा एफडीआई आकर्षित किया। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में कुल पूंजी प्रवाह में 19.1 प्रतिशत सेवा क्षेत्र में आया।

विदेशी निवेश आकर्षित करने वाले अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (14.1 प्रतिशत), ट्रेडिंग (9.1 प्रतिशत), गैर-पारंपरिक ऊर्जा (7 प्रतिशत) और सीमेंट और जिप्सम उत्पाद (6.1 प्रतिशत) शामिल हैं।

समीक्षा के अनुसार, ‘‘मुद्रास्फीतिक दबाव, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती ब्याज दरों और वैश्विक स्तर पर तनाव जैसे कारणों से वैश्विक बाजारों में अल्पकालिक अस्थिरता के बावजूद, भारत में एफडीआई के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण अनुकूल बना हुआ है।’’

इसमें कहा गया है कि भारत के मजबूत आर्थिक बुनियादी सिद्धांत, जारी संरचनात्मक सुधार और बढ़ता उपभोक्ता बाजार इसे विदेशी निवेश के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनाता है।

समीक्षा में देश में एफडीआई में गिरावट को लेकर चिंताओं को भी दूर किया गया है।

इसमें कहा गया है, ‘‘ विश्लेषण से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर एफडीआई प्रवाह आर्थिक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ती उधार लागत के कारण बाधित हुआ है।’’

सकल एफडीआई प्रवाह में वृद्धि के साथ-साथ, निवेशकों के अपने देश में पैसा भेजने में भी वृद्धि हुई है। इसका कारण देश में मजबूत शेयर बाजार में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को निवेश पर मिलने वाला अच्छा रिटर्न है, जो निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है।

भाषा

रमण अजय

अजय