नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) निर्यातकों को बैंक ऋण में गिरावट से क्षेत्र को नुकसान होगा और वे 11 सितंबर को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे। निर्यातकों का शीर्ष निकाय फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के एक अधिकारी ने रविवार को यह कहा।
निर्यातकों के अनुसार 2021-22 और 2023-24 के बीच रुपये के लिहाज से निर्यात में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मार्च 2024 में बकाया ऋण, मार्च 2022 की तुलना में पांच प्रतिशत कम हो गया है।
फियो ने कहा कि निर्यात ऋण वृद्धि का देश के बढ़ते निर्यात के साथ तालमेल नहीं है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी, माल ढुलाई (समुद्री और हवाई दोनों) में तेज उछाल और लाल सागर संकट के कारण लंबी अवधि के लिए अधिक ऋण की जरूरत के बावजूद हमने मार्च 2022 और मार्च 2024 के बीच निर्यात ऋण में गिरावट देखी है।”
उन्होंने कहा कि लाल सागर संकट के कारण यात्रा का समय लंबा हो गया है और भुगतान में देरी हुई है।
फियो के अनुसार मार्च 2024 तिमाही में बकाया निर्यात ऋण का मूल्य पिछले साल की समान तिमाही के 2,27,452 करोड़ रुपये से घटकर 2,17,406 करोड़ रुपये रह गया है।
सहाय ने कहा, ”हम मंत्री के साथ निर्यातक समुदाय की बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाएंगे।”
उन्होंने कहा कि आरबीआई को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) के मौजूदा 40 प्रतिशत लक्ष्य के भीतर निर्यात ऋण के लिए एक उप-लक्ष्य निर्धारित करने पर विचार करना चाहिए।
सहाय ने कहा कि यह सुझाव इसलिए विचारणीय है, क्योंकि निर्यात पीएसएल के तहत होने के बावजूद ऋण प्रवाह में सुधार नहीं हुआ है।
फियो ने आईएफएससी (अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) के जरिये प्रतिस्पर्धी मूल्य पर विदेशी मुद्रा (पीसीएफसी) में ऋण देने के लिए भी कहा है।
भाषा पाण्डेय रमण
रमण
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