बीमा दायरा बढ़ाने को दूरसंचार कंपनियों, ई-कॉमर्स के साथ किया जा सकता गठजोड़: एलआईसी प्रमुख

बीमा दायरा बढ़ाने को दूरसंचार कंपनियों, ई-कॉमर्स के साथ किया जा सकता गठजोड़: एलआईसी प्रमुख

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  • Publish Date - October 22, 2024 / 04:59 PM IST,
    Updated On - October 22, 2024 / 04:59 PM IST

मुंबई, 22 अक्टूबर (भाषा) भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक सिद्धार्थ मोहंती ने मंगलवार को कहा कि देश में दूरदराज क्षेत्रों तक बीमा का दायरा बढ़ाने के लिए ई-कॉमर्स और दूरसंचार नेटवर्क का उपयोग करने की जरूरत है।

मोहंती ने यहां उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में कहा, ‘‘चूंकि हम ‘सभी के लिए बीमा’ के बारे में गंभीर हैं, ऐसे में हमें इस बात पर विचार करना करना चाहिए कि बीमा उत्पादों का वितरण और विपणन कैसे किया जाए।’’

उन्होंने कहा कि एजेंट, ब्रोकर और बैंक-एश्योरेंस यानी बैंक और बीमा कंपनियों के बीच की व्यवस्था सहित मौजूदा माध्यम प्रभावी तो रहे हैं, लेकिन देश के प्रत्येक नागरिक के लिए बीमा लेने की चुनौती को देखते हुए इसकी अपनी सीमाएं हैं।

मोहंती ने कहा कि मौजूदा मॉडल में विशेष रूप से, दूरदराज और सेवा से पूरी तरह से वंचित गांवों में बीमा ले जाने की ‘सीमाएं’ हैं। ऐसे में यह समय गैर-पारंपरागत माध्यमों पर ध्यान देने का है ताकि हम अपने लक्ष्य में कामयाब हो पाएं।

उन्होंने कहा, ‘‘दूरसंचार कंपनियों, वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों और ई-कॉमर्स मंच जैसी गैर-पारंपरिक इकाइयों के साथ सहयोग कर हम अपनी पहुंच को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं।’’

मोहंती ने कहा, ‘‘इन इकाइयों की दूरदराज और बैंक सुविधा से वंचित लोगों तक अच्छी पहुंच है। उनके साथ भागीदार कर हम सभी के लिए सस्ता और सुलभ बीमा कवर सुनिश्चित कर सकते हैं।’’

उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी ग्रामीण और निम्न-आय वाले समूहों तक पहुंचने मददगार हैं। उन्होंने किसी भी नवोन्मेष को ‘उचित रूप से बढ़ावा देने’ के लिए नियामकीय समर्थन की जरूरत बतायी।

मोहंती ने कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई), मशीन लर्निंग और स्वचालन जैसी प्रौद्योगिकियां और मंच पूरे बीमा क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं और इसे ग्राहकों के लिए अधिक अनुकूल बना रहे हैं।

इससे पहले, उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर सेवानिवृत्ति समाधानों की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग सम्मान के साथ सेवानिवृत्त हों। उन्होंने इसके लिए सार्वजनिक और निजी इकाइयों के बीच साझेदारी की वकालत की।

भाषा रमण अजय

अजय