मुंबई, 20 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र सरकार की धारावी में निरस्त की गई ‘खाली पड़ी जमीन’ (वीएलटी) योजना के पूर्व मालिकों को धारावी अधिसूचित क्षेत्र (डीएनए) का हिस्सा होने के कारण धारावी झुग्गी पुनर्विकास परियोजना के तहत पुनर्विकास का लाभ मिलेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
धारावी पुनर्विकास परियोजना/ झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एस वी आर श्रीनिवास ने कहा, ‘‘डीआरपी के गठन के साथ धारावी में वीएलटी योजना स्वतः ही निरस्त हो गई थी, लिहाजा पूर्व मालिकों को चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योंकि वे पुनर्विकास योजना के दायरे में समुचित रूप से हैं।’’
श्रीनिवास ने कहा कि इस योजना के तहत धारावी का कोई भी व्यक्ति बेघर नहीं होगा क्योंकि हरेक झुग्गी मालिक को अपने सपनों का घर मिलने जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, अब वीएलटी भूमि डीएनए के अधीन होने से इन क्षेत्रों के अलग से पुनर्विकास की कोई जरूरत नहीं है। वे डीआरपी के दायरे में ही आते हैं।’’
खुली अंतरराष्ट्रीय बोली में धारावी झुग्गी पुनर्विकास परियोजना के विकास का अधिकार हासिल करने वाला अदाणी समूह महाराष्ट्र सरकार के साथ अपनी संयुक्त उद्यम कंपनी नवभारत मेगा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (एनएमडीपीएल) के जरिये आवासीय एवं वाणिज्यिक इकाइयों का निर्माण करेगा।
निर्मित इकाइयों को सर्वे निष्कर्षों के हिसाब से आवंटन के लिए महाराष्ट्र सरकार के डीआरपी/एसआरए को सौंप दिया जाएगा। धारावी पुनर्विकास योजना के तहत पात्र निवासियों को 350 वर्ग फुट तक के फ्लैट मुफ्त दिए जाएंगे।
श्रीनिवास ने कहा, ‘‘सर्वेक्षण प्रक्रिया में हमें धारावी के निवासियों से अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है और मुझे पूरा विश्वास है कि पूर्व वीएलटी मालिक भी जल्द से जल्द इस प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे।’’
उन्होंने कोलीवाड़ा जैसे अन्य निजी भूमि मालिकों और डीएनए के भीतर निजी सोसायटियों से भी पुनर्विकास पहल में शामिल होने की अपील की।
बृहन्मुंबई नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक, वीएलटी योजना को खाली भूमि को अतिक्रमण से बचाने के लिए लाया गया था। अनुमान है कि मुंबई में कई वीएलटी भूखंड हैं, जो ज्यादातर परेल, दादर, माहिम और सायन में फैले हुए हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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