(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) आईटीसी लिमिटेड के चेयरमैन संजीव पुरी ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने के विवाद पर कहा है कि कर्मचारियों के लिए कामकाजी घंटे निर्धारित करने के बजाय उन्हें कंपनी के व्यापक दृष्टिकोण के साथ जोड़ना अधिक महत्वपूर्ण है।
पुरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘ आप किसी राजमिस्त्री से पूछें कि वह क्या कर रहा है, तो वह कह सकता है कि वह ईंट लगा रहा है, कोई कह सकता है कि वह दीवार बना रहा है। वहीं कोई कह सकता है कि वह महल बना रहा है। यह श्रमिकों का अपना-अपना नजरिया है।’’
कर्मचारियों को निश्चित घंटों तक काम करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘ हम ऐसा नहीं करेंगे।’’
पुरी ने कहा, ‘‘ हम चाहते हैं कि लोग (कंपनी की) यात्रा का हिस्सा बनें और जोश से इसमें शामिल हों तथा उद्यम में बदलाव लाने की उनमें इच्छा हो…हम इसे इस तरह देखते हैं।’’
आईटीसी सिगरेट से लेकर उपभोक्ता वस्तुओं तक के कारोबार में है।
उन्होंने कहा, ‘‘ कंपनी लचीले कामकाजी माहौल पर जोर देती है जिसमें सप्ताह में दो दिन घर से काम करना भी शामिल है।’’
आईटीसी के चेयरमैन ने कहा, ‘‘ तो यह प्रत्येक व्यक्ति के कामकाजी घंटों पर नजर रखने के बारे में नहीं है। यह उनको सक्षम बनाने, उन्हें उनकी क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल करने योग्य बनाने में मदद करने और फिर उनके द्वारा हासिल लक्ष्य की समीक्षा करने के बारे में है। ’’
पुरी ने कहा कि दूरदर्शिता, मूल्य और जीवंतता ही आईटीसी का सार है।
गौरतलब है कि भारत की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग व निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस. एन. सुब्रह्मण्यन के कर्मचारियों को घर पर बैठने के बजाय रविवार सहित हर सप्ताह 90 घंटे काम करने के बयान पर जारी विवाद को लेकर पुरी ने यह टिप्पणी की है।
सुब्रह्मण्यन एक वीडियो में कर्मचारियों के साथ बातचीत में कहते दिखे थे ‘‘ मुझे खेद है कि मैं आप लोगों से रविवार को काम नहीं करा सकता। आप घर बैठकर क्या करेंगे? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं और आपकी पत्नी कितनी देर तक आपको देख सकती है?’’
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद निजी जिंदगी और काम के बीच संतुलन को लेकर बहस छिड़ गई है।
एलएंडटी प्रमुख के विचारों की व्यापारिक समुदाय के उनके कुछ साथियों ने भी आलोचना की। आरपीजी समूह के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने कहा कि लंबे समय तक काम करना सफलता नहीं बल्कि थकान का कारण बनता है।
इससे पहले इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने 70 घंटे के कार्य सप्ताह का सुझाव दिया था। वहीं उससे पहले अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने कहा था कि अगर कोई घर पर आठ घंटे से अधिक समय बिताएगा तो उनकी ‘‘ पत्नी भाग जाएगी।’’
देश में यह बहस ऐसे में शुरू हुई जब चीन में पहले से कार्य-जीवन संतुलन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। चीन में लोग कथित तौर पर सप्ताह में छह दिन सुबह नौ से रात नौ बजे तक काम करते हैं जिसे एक ‘‘सजा’’ करार दिया जा रहा है।
भाषा निहारिका अजय
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