इलेक्ट्रिक वाहन नीति में आपूर्ति श्रृंखला को जोखिम मुक्त करने की आवश्यकता

इलेक्ट्रिक वाहन नीति में आपूर्ति श्रृंखला को जोखिम मुक्त करने की आवश्यकता

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 08:41 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 08:41 PM IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) आर्थिक समीक्षा 2024-25 में शुक्रवार को कहा गया कि भारत को अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति में बदलाव करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाए।

समीक्षा में यह भी कहा गया कि भारत को अन्य देशों के साथ मिलकर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते करने चाहिए, ताकि वह अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को और मजबूत कर सके और साथ ही अन्य देशों के साथ मिलकर वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति को बेहतर बना सके।

भारत ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने में प्रभावशाली प्रगति की है, लेकिन वृद्धी की गति को बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना होगा। समीक्षा में एक उदाहरण देते हुए कहा गया है कि पारंपरिक कार की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए छह गुना अधिक खनिजों की आवश्यकता है।

समीक्षा में कहा गया है कि भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नीति का ध्यान इस पर केंद्रित होना चाहिए कि बैटरी प्रौद्योगिकियों में सुधार हो, जिससे आपूर्ति श्रृंखलाओं का जोखिम कम हो तथा देश अधिक आत्मनिर्भर बन सके।

समीक्षा में आगे कहा गया, ”इस क्षेत्र में बौद्धिक संपदा को सुरक्षित करना अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसके अलावा बैटरी पुनर्चक्रण में निवेश को बढ़ावा देना भारतीय वाहन क्षेत्र को भविष्य में काफी फायदा दे सकता है।”

ईवी आपूर्ति श्रृंखला के जोखिम को कम करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, समीक्षा में कहा गया कि कई खनिज जो ईवी निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं, वे भारत में बहुत कम उपलब्ध हैं या उनका प्रसंस्करण नहीं होता जबकि ये खनिज कुछ दूसरे देशों में ज्यादा पाए जाते हैं।

समीक्षा में बताया गया, ”चीन वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण खनिजों के प्रसंस्करण और उत्पादन में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखता है। निकेल, कोबाल्ट और लिथियम जैसे खनिजों में चीन वैश्विक उत्पादन का क्रमशः 65 प्रतिशत, 68 प्रतिशत और 60 प्रतिशत प्रसंस्करण करता है।”

भाषा योगेश पाण्डेय

पाण्डेय