विदेशी बाजारों में तेजी, त्योहारी मांग से बीते सप्ताह खाद्य तेल-तिलहनों में सुधार

विदेशी बाजारों में तेजी, त्योहारी मांग से बीते सप्ताह खाद्य तेल-तिलहनों में सुधार

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  • Publish Date - October 27, 2024 / 10:21 AM IST,
    Updated On - October 27, 2024 / 10:21 AM IST

नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी और देश में त्योहारी मांग बढ़ने से देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहनों के दाम मजबूत बंद हुए। इस तेजी के कारण सरसों, सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार देखने को मिला।

बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पामतेल (सीपीओ) का भाव 1,200 डॉलर प्रति टन हो गया जो उसके पिछले सप्ताह 1,135-1,140 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह सोयाबीन तेल का दाम 1,140-1,045 डॉलर प्रति टन से बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताह में 1,242-1,247 डॉलर प्रति टन हो गया। इसके अलावा त्योहारी मांग बढ़ने से सभी तेल-तिलहनों में सुधार दर्ज हुआ।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को सूरजमुखी तेल की ही तरह आयात होने वाले सोयाबीन तेल, सीपीओ और पामाोलीन तेल के लिए भी बाजार भाव के हिसाब से आयात शुल्क मूल्य (टैरिफ) निर्धारण की व्यवस्था कर देनी चाहिये, क्योंकि आयात शुल्क में वृद्धि के बाद सूरजमुखी और बाकी तेल के आयात शुल्क मूल्य निर्धारण के अलग-अलग मानदंड अपनाने की वजह से अब इन्हीं खाद्य तेलों के आयात भाव का अंतर काफी बढ़ जाता है, जिससे सूरजमुखी महंगा बैठता है। इससे इसका आयात प्रभावित हो सकता है।

सूरजमुखी तेल का आयात प्रभावित होने से बाकी खाद्य तेलों के कीमतें भी प्रभावित होंगी।

सूत्रों ने कहा कि देश में आयातित खाद्य तेलों का आयात शुल्क बढ़ाने के बाद सरसों तेल के दाम में 10 रुपये प्रति लीटर दाम बढ़े हैं। वहीं दूसरी ओर मूंगफली जैसे महंगे खाद्य तेल के थोक दाम कम हुए हैं। राजस्थान में तो मूंगफली तेल, आयातित तेलों के अलावा सरसों तेल से भी नीचे थोक दाम पर बिक रहा है।

उन्होंने कहा कि आयात शुल्क में वृद्धि करने का सरकार का फैसला देश के तेल-तिलहन उद्योग के अनुकूल साबित हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो सरसों मिलें चल नहीं रही थीं, वे मिलें चल पड़ी हैं।

सूत्रों ने कहा कि मिलावटी बिनौला खल की वजह से साल दर साल कपास खेती का रकबा घट रहा है जो पिछले साल के 126.12 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 112.43 लाख हेक्टेयर रह गया है। इस ओर ध्यान देने और मिलावटी खल के कारोबार पर सख्ती बरतने की जरुरत है।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 75 रुपये के सुधार के साथ 6,475-6,525 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 400 रुपये की तेजी के साथ 13,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 45 रुपये और 55 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 2,160-2,260 रुपये और 2,160-2,285 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 115 रुपये और 110 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,760-4,810 रुपये और 4,460-4,695 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 550 रुपये, 500 रुपये और 450 रुपये बढ़कर क्रमश: 13,650 रुपये, 13,150 रुपये और 10,050 रुपये क्विंटल पर बंद हुए।

मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सुधार का रुख रहा। मूंगफली तिलहन 50 रुपये की सुधार के साथ 6,350-6,625 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 300 रुपये की तेजी के साथ 15,100 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 20 रुपये की तेजी के साथ 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 400 रुपये की तेजी के साथ 12,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 475 रुपये की तेजी के साथ 13,800 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 475 रुपये की तेजी के साथ 12,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

तेजी के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 400 रुपये की तेजी के साथ 12,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

भाषा राजेश

अजय

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