नियमन में ढील देने से आर्थिक वृद्धि को मिलेगी गति: सीईए नागेश्वरन

नियमन में ढील देने से आर्थिक वृद्धि को मिलेगी गति: सीईए नागेश्वरन

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 08:17 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 08:17 PM IST

(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि नियमन में ढील देकर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ वृद्धि को रफ्तार दी जा सकती है।

उन्होंने आर्थिक समीक्षा की प्रस्तावना में नियमन को उदार बनाने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि देश में केंद्र और राज्य सरकारों की सबसे प्रभावी नीतियां का मकसद उद्यमियों और परिवारों को उनका समय और मानसिक सुकून (मेंटल बैंडविड्थ) वापस देना है।

उन्होंने आर्थिक समीक्षा 2024-25 की प्रस्तावना में लिखा है कि ‘रास्ते से हटना’ और व्यवसायों को अपने मुख्य मिशन पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देना एक महत्वपूर्ण योगदान है जो केंद्र और राज्य सरकारें नवोन्मेष और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कर सकती हैं।

उन्होंने लिखा, ‘‘केंद्र और राज्य सरकारें देश में जो सबसे प्रभावी नीतियां अपना सकती हैं, वह उद्यमियों और परिवारों को उनका समय और मानसिक सुकून वापस देना। इसका मतलब है कि विनियमन को महत्वपूर्ण रूप से वापस लेना। इसका अर्थ है आर्थिक गतिविधियों के सूक्ष्म प्रबंधन को रोकना और जोखिम आधरित नियमों को अपनाने का संकल्प करना।’’

आर्थिक समीक्षा तैयार करने वाली टीम की अगुवाई करने वाले नागेश्वरन ने कहा, ‘‘दुरुपयोग को रोकने के लिए नीतियों में परिचालन स्तर पर कई शर्तें जोड़ने से वे समझ से परे हो जाती हैं और विनियमन अनावश्यक रूप से जटिल हो जाते हैं। इससे वे अपने मूल उद्देश्यों और इरादों से भटक जाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि हमें ‘लीक से हटना चाहिए’ और लोगों पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ‘परंपरागत रूप से कारोबार करने के रुख’ से आर्थिक स्थिरता तो नहीं लेकिन आर्थिक वृद्धि में ठहराव आने का जोखिम बहुत अधिक रहता है।

नागेश्वरन ने लिखा है, ‘‘ यह सही है भरोसा दो-तरफा रास्ता है और अर्थव्यवस्था में गैर-सरकारी प्रतिभागियों को जताये गये भरोसे को सही साबित करना होता है। वास्तव में, जटिल अनुपालन आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा उन व्यवसायों के प्रयासों से उत्पन्न होता है जो घरेलू और विदेशी प्रतिस्पर्धा से दूर रहना चाहते हैं…।’’

लोगों पर भरोसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने आगाह किया कि ‘व्यवसाय ऐसे ही चलता है’ के रुख से आर्थिक वृद्धि में स्थिरता का जोखिम है।

नागेश्वरन ने लिखा, ‘‘यह सही है कि भरोसा एक दो-तरफा रास्ता है और अर्थव्यवस्था में गैर-सरकारी इकाइयों को जताए गए भरोसे को सही साबित करना होता है। वास्तव में, जटिल अनुपालन आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा प्रतिस्पर्धा को बाहर रखने की इच्छा रखने वाली कंपनियों के प्रयासों से उत्पन्न होता है…।’’

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि देश में भरोसे की कमी को दूर करना जरूरी है और सरकारी एजेंसियों को इस संबंध में एजेंडा तय करना होगा।

समीक्षा में कहा गया है कि सरकार को जोखिम-आधारित नियमों को अपनाने और नियमों के संचालन सिद्धांत को बदलकर ‘निर्दोष साबित होने तक दोषी’ से बदलकर ‘दोषी साबित होने तक निर्दोष’ करने की जरूरत है।

नागेश्वरन ने वैश्विक गतिविधियों का जिक्र करते हुए कहा कि एक महत्वाकांक्षी अर्थव्यवस्था की बुनियादी ढांचे और निवेश आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक पैमाने और गुणवत्ता के संबंध में महत्वपूर्ण वस्तुओं का उत्पादन करने में भारत को सीमाओं का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में सौर ऊर्जा क्षेत्रा में पॉलीसिलिकॉन, इनगॉट और वेफर्स जैसे उसके प्रमुख उपकरणों की उत्पादन क्षमता कम है। मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन इनगॉट की उत्पादन क्षमता वर्ष 2023 में दो गीगावॉट से बढ़कर वर्ष 2025 तक पांच गुना होने की उम्मीद है, लेकिन यह देश में मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।

नागेश्वरन ने कहा, ‘‘देश में कई सौर उपकरण विनिर्माता चीनी आपूर्ति श्रृंखलाओं और संबंधित सेवाओं पर काफी हद तक निर्भर हैं। कई उत्पाद क्षेत्रों में एकल-स्रोत पर निर्भरता भारत को आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटों, मूल्य उतार-चढ़ाव और मुद्रा जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाती है।’’

हालांकि, मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भरोसा जताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वृद्धि के रास्ते पर है और वृहद आर्थिक सेहत अच्छी दिख रही है।

भाषा रमण अजय

अजय