बासमती चावल, प्याज पर निर्यात नियम आसान बनाने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा होंगे: मोदी

बासमती चावल, प्याज पर निर्यात नियम आसान बनाने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा होंगे: मोदी

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  • Publish Date - September 14, 2024 / 08:22 PM IST,
    Updated On - September 14, 2024 / 08:22 PM IST

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कृषि निर्यात नीतियों में हाल के बदलावों की सराहना करते हुए कहा कि बासमती चावल और प्याज पर निर्यात मानदंडों को आसान बनाने और कुछ खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने से किसानों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा होंगे।

सरकारी बयानों के अनुसार, शुक्रवार को सरकार ने बासमती चावल के लिए 950 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को खत्म कर दिया और प्याज पर 550 डॉलर प्रति टन एमईपी हटा दिया।

सरकार ने शनिवार को कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 20 प्रतिशत और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर 32.5 प्रतिशत कर दिया, जिसका उद्देश्य घरेलू तिलहन किसानों और प्रसंस्करणकर्ताओं को समर्थन देना है।

मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि सरकार देश की खाद्य सुरक्षा के लिए अथक परिश्रम करने वाले किसानों को समर्थन देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे प्याज पर निर्यात शुल्क कम करना हो या खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना हो, ऐसे अनेक फैसले हमारे खाद्यान्न उत्पादकों को बहुत लाभ पहुंचाने वाले हैं। इनसे जहां उनकी आय बढ़ेगी, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।”

मोदी की यह टिप्पणी कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक पोस्ट के जवाब में आई है, जिसमें उन्होंने किसानों के हित में प्याज, बासमती चावल और खाद्य तेलों के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया था।

चौहान ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के प्रति संवेदनशील है और उनके विकास तथा प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्याज पर निर्यात शुल्क 40 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत करने से प्याज किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

चौहान ने कहा कि बासमती चावल पर निर्यात शुल्क हटाने का उद्देश्य उत्पादकों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना और प्रीमियम चावल किस्म की मांग बढ़ाना है। रिफाइंड तेलों के बारे में मंत्री ने कहा कि इन पर मूल शुल्क बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत करने से ‘रिफाइनरी तेल के लिए सरसों, सूरजमुखी और मूंगफली की फसलों की मांग बढ़ेगी’।

चौहान ने आशा व्यक्त की कि किसानों को इन फसलों के लिए बेहतर मूल्य मिलेंगे और छोटे और ग्रामीण क्षेत्रों में रिफाइनरियों की वृद्धि से रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय