नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग ने लॉजिस्टिक लागत के आकलन के लिए एक विस्तृत रूपरेखा विकसित करने और 2023-24 के लिए लागत के आकलन करने हेतु आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर के साथ समझौता किया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) विभिन्न मार्गों, माध्यमों, उत्पादों, माल के प्रकार और सेवा संचालन में लॉजिस्टिक लागत में अंतर का आकलन भी करेगा। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में लॉजिस्टिक पर प्रभाव के साथ-साथ प्रमुख निर्धारकों की पहचान भी करेगा।
इसमें कहा गया है कि देश की लॉजिस्टिक लागत का नियमित रूप से आकलन और निगरानी की जानी चाहिए ताकि लागत भिन्नता के आंकड़ों से उद्योग और नीति निर्माताओं, दोनों को लाभ हो।
विस्तृत द्वितीयक सर्वेक्षण करने के अलावा, व्यवस्थित और निश्चित अवधि पर आंकड़ा संग्रह की प्रक्रिया के लिए एक संस्थागत ढांचे की आवश्यकता होती है।
मंत्रालय ने कहा, “इस उद्देश्य के साथ, उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) और एनसीएईआर ने आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में लॉजिस्टिक लागत के आकलन के लिए एक विस्तृत रूपरेखा विकसित करना है।”
सरकार ने 17 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (एनएलपी) शुरू की। नीति का एक प्राथमिक उद्देश्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लॉजिस्टिक लागत को घटाना था।
भाषा अनुराग रमण
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