नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने बुधवार को पेंशन कोष, निजी इक्विटी (पीई) एवं उद्यम पूंजी (वीसी) कंपनियों के साथ देश में अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
यह इस तरह की दूसरी बैठक थी। पिछले सप्ताह भी विभाग ने कानूनी फर्मों और उद्योग मंडलों जैसे हितधारकों के साथ इस मसले पर चर्चा की थी।
पिछली बैठक में विधि कंपनियों ने ई-कॉमर्स फर्मों को निर्यात मकसद वाले ऑनलाइन व्यापार के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने, लाभकारी स्वामित्व को परिभाषित करके प्रेस नोट-3 को आसान बनाने और एकल ब्रांड वाले खुदरा व्यापार की नीति में कुछ बदलाव करने से जुड़े मुद्दे उठाए थे।
इस प्रेस नोट के तहत भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों के निवेशकों के लिए किसी भी क्षेत्र में सरकारी अनुमोदन लेना अनिवार्य है।
अप्रैल, 2000 से सितंबर, 2024 के बीच भारत में एफडीआई एक लाख करोड़ डॉलर के मील के पत्थर को पार कर गया है। इनमें से अधिकतम निवेश आकर्षित करने वाले क्षेत्रों में सेवा, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर, दूरसंचार, व्यापार, निर्माण विकास, वाहन, रसायन और औषधि शामिल हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सेवाओं, कंप्यूटर, दूरसंचार और औषधि क्षेत्रों में स्वस्थ निवेश के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत में निवेश सालाना आधार पर 45 प्रतिशत बढ़कर 29.79 अरब डॉलर हो गया।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय