किताब: भारत में जीई को लाने की राजीव गांधी की इच्छा को डीएलएफ के केपी सिंह ने किया पूरा

किताब: भारत में जीई को लाने की राजीव गांधी की इच्छा को डीएलएफ के केपी सिंह ने किया पूरा

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  • Publish Date - November 17, 2024 / 05:42 PM IST,
    Updated On - November 17, 2024 / 05:42 PM IST

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने के बाद जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) को भारत लाना चाहते थे और उनकी इच्छा डीएलएफ के केपी सिंह ने पूरी की।

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की ‘व्हाई द हेक नॉट’ में सिंह ने बदलते भारत के माध्यम से अपनी यात्रा और उद्योग में अपने अमिट योगदान के बारे में बात की। सिंह ने अपर्णा जैन के साथ मिलकर यह किताब लिखी है।

जीई की कहानी पर विस्तार से बात करते हुए किताब में बताया गया है कि 80 के दशक के मध्य से लेकर अंत तक, गांधी जीई के चेयरमैन और सीईओ जैक वेल्च को एक आदर्श व्यवसायी मानते थे।

गांधी ने वाशिंगटन में भारत के राजदूत पी के कौल को उन्हें भारत लाने के लिए औपचारिक निमंत्रण देने भेजा। लेकिन, जैक ने मना कर दिया।

इसके बाद 1988 की एक शाम को गांधी की सचिव सरला ग्रेवाल ने इस संबंध में सिंह से संपर्क किया। उसी समय वेल्च की शादी हुई थी और सिंह ने प्रस्ताव दिया कि दंपति को ‘रोमांटिक ताजमहल’ देखने के लिए भारत आना चाहिए। वेल्च तैयार हो गए।

सिंह ने वेल्च और उनकी पत्नी जेन बेस्ली के लिए शानदार तरीके से लाल कालीन बिछाया।

किताब में लिखा है कि वेल्च का नाश्ता गांधी की युवा टीम के साथ हुआ, जिसमें मुख्य प्रौद्योगिकी सलाहकार सैम पित्रोदा, योजना आयोग से जयराम रमेश और राजीव गांधी के विशेष सचिव मोंटेक सिंह अहलूवालिया शामिल थे।

सैम ने उन्हें बताया कि भारत शायद जीई के लिए व्यवसाय प्रसंस्करण कार्यालय (बीपीओ) शुरू करने के लिए सबसे अच्छे देशों में से एक था। इसके बाद सैम ने जैक को मनमोहन सिंह से मिलवाया।

दिल्ली से, वेल्च और उनकी पत्नी जयपुर और फिर आगरा गए। सिंह लिखते हैं, ”आगरा में, सूर्यास्त के समय गुलाबी आकाश के सामने शांत और चमकदार ताजमहल ने जैक और जेन पर अपना जादू चलाया। वे यात्रा से बहुत खुश थे।”

इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास है। वर्ष 1997 में जीई कैपिटल इंडिया ने गुड़गांव में एक आधुनिक वाणिज्यिक भवन ‘डीएलएफ कॉरपोरेट पार्क’ की आठ मंजिलों पर अपना नया कार्यालय स्थापित किया और जीई के बैक ऑफिस संचालन को संभालने के लिए एक मंजिल को बीपीओ में बदल दिया। इस शानदार सफलता के साथ ही भारत में बड़े पैमाने पर बीपीओ उद्योग में उछाल शुरू हुआ।

भाषा पाण्डेय

पाण्डेय