केंद्रीय उपक्रमों को बाजार पूंजीकरण, संपत्तियों के मौद्रीकरण का भी लक्ष्य देने के पक्ष में दीपम

केंद्रीय उपक्रमों को बाजार पूंजीकरण, संपत्तियों के मौद्रीकरण का भी लक्ष्य देने के पक्ष में दीपम

केंद्रीय उपक्रमों को बाजार पूंजीकरण, संपत्तियों के मौद्रीकरण का भी लक्ष्य देने के पक्ष में दीपम
Modified Date: November 29, 2022 / 08:25 pm IST
Published Date: November 27, 2020 1:49 pm IST

नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) के प्रदर्शन के लक्ष्य को लेकर सरकार के साथ किये जाने वाले करार में बाजार पूंजीकरण में सुधार तथा संपत्तियों की बिक्री को भी सफलता के पैमाने के तौर पर शामिल करने का सुझाव दिया है। एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।

दीपम सीपीएसई में सरकारी निवेश तथा हिस्सेदारी का प्रबंधन करता है।

विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बाजार पूंजीकरण में सुधार करने के लिये निवेशकों के साथ लगातार व पारदर्शिता के साथ संवाद बनाये रखने के लिये भी कहा है। विभाग ने सार्वजनिक उपक्रमों को यह भी कहा है कि वे शेयरधारकों को तिमाही अथवा अर्द्धवार्षिक आधार पर लाभांश का भुगतान करें।

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उद्योग एवं वाणिज्य संगठन सीआईआई के द्वारा आयोजित पीएसई सम्मेलन को संबोधित करते हुए दीपम सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि अभी 249 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम परिचालन में हैं। इनका संयुक्त टर्नओवर व नेट वर्थ क्रमश: 24 लाख करोड़ रुपये और 12 लाख करोड़ रुपये है। इनमें से 54 कंपनियां शेयर बाजारों में पंजीकृत हैं, जिनका सम्मिलित बाजार पूंजीकरण 9.74 लाख करोड़ रुपये है।

उन्होंने कहा कि मार्च से नवंबर के दौरान सेंसेक्स व निफ्टी में करीब 50 प्रतिशत की तेजी आयी, लेकिन बीएसई सीपीएसई सूचकांक सिर्फ 19 प्रतिशत चढ़ा। यह चिंता का विषय है।

पांडेय ने कहा, ‘‘सामान्य तौर पर, हमें बाजार में सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों के मूल्यांकन की समस्या है। हमें आत्म चिंतन भी करना चाहिये … कि ऐसा क्यों हो रहा है। क्या यह कुछ ऐसी समस्या के कारण है जो कंपनियों का प्रबंधन करने के हमारे तरीके में है या कि क्या यह सरकार की नीति के कारण है?’’

उन्होंने कहा कि ऐसे में आत्मचिंतन करने की जरूरत है। यह देखे जाने और सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सार्वजनिक उपक्रमों में पैसा लगाने वाले निवेशकों को भी बराबर लाभ हो।

भाषा सुमन मनोहर

मनोहर


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