गांवों के विकास के बिना विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना कठिन: गिरीश चंद्र मुर्मू

गांवों के विकास के बिना विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना कठिन: गिरीश चंद्र मुर्मू

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  • Publish Date - October 1, 2024 / 03:17 PM IST,
    Updated On - October 1, 2024 / 03:17 PM IST

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि गांवों के विकास के बिना भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता है।

मुर्मू ने कहा कि सत्ता का विकेंद्रीकरण उस हद तक नहीं हुआ है जितना होना चाहिए था। ग्राम सभा या ग्रामीण निकायों को अब भी संघीय ढांचे में उचित महत्व नहीं मिला है।

उन्होंने कहा, ‘‘स्थानीय स्तर पर जमीनी स्तर के विकास के बिना, हम विकसित देश नहीं बन सकते। देश की 50 प्रतिशत प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में रहती है और जबतक उनका राजकाज, उनका विकास, उनका प्रशासन, उनके संसाधन नहीं बढ़ेंगे, हम विकसित भारत का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि यदि हर कोई एक कदम बढ़ाता है, तो हमारे पास 1.4 अरब कदम होंगे… इसलिए जन-भागीदारी महत्वपूर्ण है।’’

देश में लगभग 2,60,000 पंचायतें और 7,000 शहरी स्थानीय निकाय हैं।

मुर्मू ने स्थानीय निकायों को मजबूत करने की जरूरत बताई ताकि सरकारी योजनाओं की दक्षता हासिल की जा सके। यह जितनी जल्दी हो, देश के लिए उतना ही बेहतर होगा।

उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों को मजबूत किए बिना सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल नहीं किया जा सकता है। लेखांकन और लेखा परीक्षा स्थानीय निकायों को धन के प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने शहरी स्थानीय निकायों के संबंध में कहा कि यदि नगर निगमों ने उचित लेखा मानदंडों का पालन नहीं किया है तो उन्हें बाजार से पैसा जुटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि स्थानीय निकायों के लिए लेखांकन और लेखा परीक्षा मानकों का ठीक से पालन किया जा सके।

मुर्मू ने कहा कि ऑडिटिंग से न केवल व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ती है बल्कि सरकारी योजनाओं में आर्थिक दक्षता भी आती है। ऑडिटिंग से ही नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।

भाषा रमण अजय

अजय