हीरा प्राकृतिक है, या प्रयोगशाला में बना है, व्यापारियों के लिए बताना अनिवार्य हो : जीजेईपीसी

हीरा प्राकृतिक है, या प्रयोगशाला में बना है, व्यापारियों के लिए बताना अनिवार्य हो : जीजेईपीसी

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  • Publish Date - October 14, 2024 / 06:29 PM IST,
    Updated On - October 14, 2024 / 06:29 PM IST

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने सरकार से कड़े नियम बनाने का आग्रह किया है, जिसमें व्यापारियों को विपणन करते समय यह स्पष्ट रूप से बताना अनिवार्य किया जाए कि हीरा प्राकृतिक है या प्रयोगशाला में तैयार किया गया है, ताकि किसी तरह की अस्पष्ट स्थिति से बचा जा सके।

उपभोक्ता मामलों के विभाग को भेजे गए पत्र में परिषद ने कहा है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करना और स्पष्ट एवं मानकीकृत दिशानिर्देशों को लागू करना उपभोक्ताओं की सुरक्षा और घरेलू उद्योग की अखंडता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

उसे बताया गया कि भारत में प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों के विपणन और विज्ञापन में शब्दावली का व्यापक दुरुपयोग हो रहा है।

इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने के लिए परिषद ने ‘‘अमेरिका के संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) दिशानिर्देशों को अपनाने का पक्ष लेने का निर्णय लिया है।

‘‘ये दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से परिभाषित, मानकीकृत नामकरण करते हैं और प्राकृतिक और प्रयोगशाला में तैयार किये गए दोनों हीरों के लिए अनिवार्य खुलासा जरूरतों को जरूरी बनाते हैं।’’

हीरा उद्योग पहले से ही रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण समस्याओं का सामना कर रहा है, क्योंकि इसने वैश्विक हीरा आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया है। रूस पर प्रतिबंधों के साथ, जो एक प्रमुख कच्चा हीरा उत्पादक है, व्यापार को और अधिक जटिल बना रहा है और इससे वैश्विक हीरा व्यापार प्रभावित हो रहा है।

उपभोक्ता का झुकाव प्रयोगशाला में तैयार किये गए हीरों की ओर मुड़ने से प्राकृतिक हीरों की मांग प्रभावित हो रही है।

उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि व्यापारियों को हीरे बेचते समय स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वे प्राकृतिक हैं या प्रयोगशाला में तैयार किये गए हैं।

परिषद के अनुसार, उपभोक्ता संरक्षण कानून में इन दो हीरों के बीच अंतर करने के बारे में कड़े नियम होने चाहिए।

परिषद द्वारा विभाग को लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘‘हीरे की शब्दावली पर मानकीकृत दिशानिर्देशों की अनुपस्थिति अस्पष्टता की ओर ले जाती है।’’

परिषद ने इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाने का अनुरोध किया है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय