नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) डेलावेयर के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू ने कर्ज में चूक की है।
हालांकि, बायजू ने दावा किया कि इसका भारत में चल रही कानूनी कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बायजू के अमेरिकी ऋणदाताओं ने मंगलवार को कहा कि डेलावेयर के सर्वोच्च न्यायालय ने ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ के फैसले को बरकरार रखा। उसने अपने फैसले में कहा कि ऋण समझौते के तहत चूक हुई है और बायजू के ऋणदाताओं तथा उनके प्रशासनिक एजेंट ग्लास ट्रस्ट को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है।
बायजू ने अपनी मूल कंपनी बायजू अल्फा के जरिये अमेरिकी ऋणदाताओं से 1.2 अरब डॉलर का ‘टर्म लोन बी’ (टीएलबी) जुटाया था। टीएलबी संस्थागत निवेशकों द्वारा जारी किया जाने वाला कर्ज है।
ऋणदाताओं ने अपने प्रशासनिक एजेंट ग्लास ट्रस्ट के जरिये ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ में ऋण समझौते के तहत भुगतान में कथित चूक का आरोप लगाया और 1.2 अरब डॉलर के टीएलबी के शीघ्र भुगतान की मांग की थी।
थिंक एंड लर्न (जिसके पास बायजू का स्वामित्व है) ने इस दावे का विरोध किया था, लेकिन ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ ने उधारदाताओं के पक्ष में फैसला सुनाया था।
‘टर्म लोन’ उधारदाताओं के तदर्थ समूह की संचालन समिति के बयान के अनुसार, बायजू के संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बायजू रवींद्रन तथा उनके भाई रिजू रवींद्रन ने स्वेच्छा से स्वीकार किया है कि बायजू ने अक्टूबर, 2022 तक ऋण समझौते का भुगतान करने में चूक की।
समिति ने कहा, ‘‘हम इस बात से खुश हैं कि डेलावेयर के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णायक रूप से उस बात की पुष्टि की है जिसे हम पहले से ही जानते थे कि बायजू ने जानबूझकर तथा स्वेच्छा से ऋण समझौते का उल्लंघन किया और उसे पूरा नहीं किया।’’
अमेरिका स्थित ऋणदाताओं ने ग्लास ट्रस्ट के जरिये कंपनी के खिलाफ जारी दिवालिया कार्यवाही के दौरान भारतीय अदालतों में 1.35 अरब अमेरिकी डॉलर का दावा दायर किया था। नवीनतम बयान में, ऋणदाताओं ने अपने दावे की राशि बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर कर दी थी।
संपर्क करने पर बायजू ने कहा, “डेलावेयर न्यायालय द्वारा हाल ही में दिए गए निष्कर्ष का भारत में चल रही कानूनी कार्यवाही पर कोई असर नहीं पड़ेगा और संकटग्रस्त ऋण से निपटने वाले कुछ आक्रामक ऋणदाताओं को अयोग्य ठहराने का उसका संविदात्मक अधिकार बरकरार है।
कंपनी ने कहा, “वास्तव में, डेलावेयर चांसरी अदालत ने मई, 2023 में इस मुद्दे को निर्धारित करने के लिए ग्लास के अनुरोध पर विचार करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया था। अयोग्यता अधिकार बायजू जैसे उधारकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा हैं। वर्तमान में, टीएलबी के 60 प्रतिशत से अधिक रखने वाले ऋणदाताओं की अयोग्यता प्रभावी बनी हुई है, इसके विपरीत कोई न्यायालय निर्णय नहीं हुआ है।”
भाषा अनुराग अजय
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