नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) अक्टूबर और नवंबर के दौरान वाहन बिक्री और बिजली की खपत सहित तेज गति से मिलने वाले संकेतक (एचएफआई) वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी और चौथी तिमाही में मजबूत आर्थिक गतिविधियों की तरफ इशारा कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही।
अक्टूबर और नवंबर 2023 में एचएफआई से मजबूत आर्थिक गतिविधियों का पता चलता है। इस दौरान पीएमआई विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में भी विस्तार देखा गया। आईआईपी और आठ प्रमुख ढांचागत उद्योगों के सूचकांक भी अक्टूबर में विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि को दर्शाते हैं।
वित्त मंत्रालय की वित्त वर्ष 2023-24 की अर्द्धवार्षिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि उन्नत देशों में मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव और लगातार भू-राजनीतिक तनाव के कारण आपूर्ति-श्रृंखला में फिर से बाधा पैदा हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो वृद्धि में गिरावट का जोखिम सामने आ सकता है।
हालांकि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की घरेलू आर्थिक रफ्तार और स्थिरता, कच्चे माल की लागत का कम दबाव और नीतियों में निरंतरता से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
देश ने सितंबर तिमाही में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जबकि वित्त वर्ष 2023-24 की जून छमाही में जीडीपी 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी।
रिपोर्ट कहती है कि मजबूत घरेलू मांग होने से विनिर्माण और सेवाओं के मूल्य-वर्धन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
इसके मुताबिक, नीतिगत दरों में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति में नरमी आई है लेकिन यह निर्धारित लक्ष्य तक लाने के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे मौद्रिक सख्ती का दौर लंबा खिंच सकता है और वैश्विक उत्पादन में कम वृद्धि का सबब बन सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य रूप से स्थिर और घटती मुख्य मुद्रास्फीति के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में दबाव कम हुआ है। हालांकि मौसमी कारणों से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से खाद्य मुद्रास्फीति अस्थिर रही।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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