भदोही (उप्र), 17 अक्टूबर (भाषा) कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल ने कहा है कि पश्चिम एशिया में मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति का भारतीय कालीन मेले पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है।
कालीन उद्योग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) छमाही मेलों का आयोजन कर रहा है, जो घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को भी आकर्षित करते हैं।
वट्टल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ पश्चिम एशिया में मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति का भारतीय कालीन मेलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके बजाय, इससे भारतीय निर्यातकों को लाभ मिल सकता है खासकर अगर ईरानी उत्पादन प्रभावित होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ वर्तमान में जो ईरान-इज़राइल के हालात है उसके लंबे समय तक जारी रहने पर ईरानी कालीन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसका सीधा फायदा भारतीय निर्यातक ले सकते है क्योंकि वैश्विक बाजार में ईरानी कालीन की मांग को देखते हुए उस तरह के कालीन सिर्फ भारत में बनाए जाते हैं।’’
जर्मनी में ‘डोमोटेक्स मेले’ के रद्द होने पर वट्टल ने कहा, ‘‘ इससे मौजूदा ‘इंडिया कारपेट एक्सपो 2024’ में ऑर्डर बढ़ाने का मौका मिलता है।’’
भदोही में ‘इंडिया कारपेट एक्सपो 2024’ का उद्घाटन केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने 15 अक्टूबर को किया था। यह 18 अक्टूबर तक चलेगा।
अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के महासचिव पीयूष कुमार बरनवाल ने कहा, ‘‘ ईरान के प्रभाव के बिना भारतीय कालीन उद्योग की कल्पना भी नहीं की जा सकती, ठीक वैसे ही जैसे भदोही इस कला का उद्गम स्थल है।’’
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के सदस्य हुसैन जाफर हुसैनी ने कहा, ‘‘ यहां के कालीन न केवल जगह की शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि एक सदी तक अपना आकर्षण बनाए रख सकते हैं।’’
भदोही के उत्कृष्ट कालीन राष्ट्रपति भवन, नए संसद भवन और भारत मंडपम जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रमुखता से प्रदर्शित किए गए हैं।
भदोही कालीनों को दिए गए भौगोलिक संकेत (जीआई) तमगे (टैग) ने वैश्विक बाजार में उनके कद को और ऊंचा कर दिया है। इससे भदोही को भारत सरकार द्वारा ‘निर्यात उत्कृष्टता वाले शहर’ के रूप में भी मान्यता मिली है।
भाषा सं जफर निहारिका अजय
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