‘विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंक संहिता तैयार करने को लेकर अदालत के पास विशेषज्ञता नहीं’ |

‘विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंक संहिता तैयार करने को लेकर अदालत के पास विशेषज्ञता नहीं’

‘विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंक संहिता तैयार करने को लेकर अदालत के पास विशेषज्ञता नहीं’

:   Modified Date:  September 26, 2024 / 06:18 PM IST, Published Date : September 26, 2024/6:18 pm IST

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसके पास काले धन के सृजन और बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने को लेकर विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग संहिता तैयार करने को न तो साधन हैं और न ही विशेषज्ञता।

अदालत ने निर्देश दिया कि समान बैंकिंग संहिता लागू करने के आग्रह वाली याचिका की बातों को वित्त मंत्रालय के समक्ष रखा जाए और उनका रुख जाना जाए। मंत्रालय इस बारे में गृह मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक से भी सुझाव लेगा।

मनोनीत मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, “इस अदालत का विचार है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन को लेकर एक समान बैंक संहिता तैयार करने के लिए उसके पास न तो साधन हैं और न ही विशेषज्ञता।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ अत: रिट याचिका को वित्त मंत्रालय के समक्ष रखा जाए और रुख जानना चाहिए। मंत्रालय गृह मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक से इस बारे में सुझाव लेने के बाद एक मौखिक आदेश के माध्यम से यथासंभव शीघ्रता से निर्णय ले।’’ इसके साथ पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया।

अदालत ने याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। इसमें विदेशी कोष के हस्तांतरण के संबंध में व्यवस्था में खामियों को सामने रखा गया था और कहा गया था कि इसका इस्तेमाल अलगाववादी, नक्सली, माओवादी, कट्टरपंथी और आतंकवादी कर सकते हैं।

याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए ‘रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट’ (आरटीजीएस), ‘नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर’ (एनईएफटी) और ‘इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम’ (आईएमपीएस) का इस्तेमाल नहीं किया जाए।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि यह न केवल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि इसका इस्तेमाल अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकवादियों आदि को धन मुहैया कराने के लिए भी किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वीजा के लिए आव्रजन नियम समान हैं। चाहे कोई विदेशी बिजनेस क्लास या इकनॉमी क्लास में आता हो, एयर इंडिया या ब्रिटिश एयरवेज का उपयोग करता हो और अमेरिका या यूगांडा से आता हो।

इसी तरह, विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा विवरण एक ही प्रारूप में होना चाहिए। चाहे वह चालू खाते में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते में वेतन अथवा परमार्थ कार्यों से जुड़ी इकाइयों के चालू खाते में चंदा या फिर यूट्यूबर के खातों में सेवा शुल्क का भुगतान हो, सभी के लिए जमा विवरण का प्रारूप समान होना चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि वेस्टर्न यूनियन, राष्ट्रीय बैंकों अथवा भारत स्थित विदेशी बैंकों के लिए प्रारूप एक समान होने चाहिए।

भाषा रमण अजय

अजय

 

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