भारत को विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सभी के समन्वित प्रयासों की जरूरत: समीक्षा

भारत को विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सभी के समन्वित प्रयासों की जरूरत: समीक्षा

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 03:06 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 03:06 PM IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) अनिश्चित वैश्विक माहौल के बीच भारत को विनिर्माण महाशक्ति बनने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और वित्तीय हितधारकों के समन्वित प्रयासों की जरूरत है।

आर्थिक समीक्षा 2024-2025 में शुक्रवार को यह बात कही गई। इसमें कहा गया कि विनिर्माण महाशक्ति के रूप में चीन का उदय और अन्य देशों की विनिर्माण आकांक्षाओं पर इसके प्रभाव के चलते चुनौतियां भी हैं। साथ ही ऊर्जा बदलाव के लिए जरूरी खनिजों, सामग्रियों, मशीनरी और उपकरणों की आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियां भी हैं।

समीक्षा कहती है कि भारत एक ऐसे बदलाव से गुजर रहा है, जो एक अभूतपूर्व आर्थिक चुनौती और अवसर का प्रतिनिधित्व करता है।

समीक्षा ने जोर देकर कहा कि चीन वैश्विक विनिर्माण और ऊर्जा बदलाव पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख ताकत है। इसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए आज महत्वपूर्ण माने जाने वाले प्रमुख संसाधनों तक पहुंचने में एक रणनीतिक लाभ हासिल किया है।

इसके मुताबिक, ‘‘इसलिए, एक अपेक्षाकृत असहयोगी वैश्विक वातावरण में, भारत को विनिर्माण महाशक्ति बनने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, कौशल विकास तंत्र, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के साथ ही वित्तीय हितधारकों के समन्वित प्रयासों की जरूरत है।’’

समीक्षा में कहा गया है कि पीएलआई (उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन) योजना के तहत घरेलू विनिर्माण प्रयासों से लागत कम करने, ऊर्जा सुरक्षा में सुधार और रोजगार को बढ़ावा देकर भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

इसमें आगे कहा गया कि भारत अब भी चीन से 75 प्रतिशत लिथियम-आयन बैटरी हासिल करता है, और पॉलीसिलिकॉन, सिल्लियां और वेफर्स जैसे प्रमुख कलपुर्जों के लिए इसकी उत्पादन क्षमता लगभग नहीं के बराबर है।

समीक्षा के मुताबिक, ऊर्जा बदलाव के लिए चीन में बनी वस्तुओं पर निर्भरता भारत के लिए चुनौती को बढ़ाती है।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय