नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के प्रमुख रवि मितल ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में कंपनियों ने दिवाला कानून का उपयोग करना नहीं सीखा है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की वकालत की कि अधिक कंपनियां उत्पादकता बढ़ाने के लिए स्वैच्छिक समाधान प्रक्रिया का विकल्प चुनें।
वर्ष 2016 में लागू दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) दबाव वाली संपत्तियों का बाजार आधारित और समयबद्ध समाधान प्रदान करती है।
अबतक, अधिकांश दिवाला समाधान प्रक्रियाएं कर्जदाताओं ने शुरू की हैं, जबकि इसकी तुलना में स्वैच्छिक आवेदन कम हैं।
मित्तल ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम और लेखा निकाय सीपीए ऑस्ट्रेलिया द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि पिछले आठ वर्षों में आईबीसी के तहत कर्जदाताओं ने लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये प्राप्त किये हैं।
आईबीबीआई, आईबीसी को लागू करने वाली एक प्रमुख संस्था है।
उन्होंने कहा कि संहिता के कार्यान्वयन के साथ कर्जदाता और कर्जदार के बीच संबंध बदल गए हैं। दिवाला समाधान प्रक्रिया में आने से पहले ही 11 लाख करोड़ रुपये के ऋण से जुड़े मामलों का निपटान किया गया है।
मित्तल ने कहा, ‘‘यह बेहतर है कि कंपनियां स्वयं दिवाला प्रक्रिया के लिए आगे आएं… यही वह जगह है जहां हम अधिकतम मूल्य बनाते हैं, यही वह जगह है जहां मूल्य का नुकसान सबसे कम होता है…।’’
भारत में, कंपनियों के खिलाफ कर्जदाता दिवाला कार्यवाही शुरू करते हैं।
मितल ने कहा, ‘‘विकसित दुनिया में, दिवाला कार्यवाही के तहत ज्यादातर आवेदन स्वैच्छिक होते हैं…।’’
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि अमेरिका और अन्य विकसित देशों में दिवाला कार्यवाही कोई प्रतिकूल प्रक्रिया नहीं है। भारत में, यह कर्जदाता ही हैं जो दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए आवेदन करते हैं और फिर यह एक प्रतिकूल प्रक्रिया बन जाती है।
मित्तल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत में कंपनियों ने यह नहीं सीखा है कि उन्हें अधिक उत्पादक बनाने के लिए दिवाला कार्यवाही का उपयोग कैसे करना है… यदि एसोचैम चाहे, तो आईबीबीआई उनके साथ चर्चा और सहयोग करने को तैयार है ताकि वे जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उनपर गौर किया जा सके।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कंपनियां आगे क्यों नहीं आ रही हैं? हमें धारा 10 के आवेदन क्यों नहीं मिल रहे हैं? कोई कारण होगा… हम इस बारे में कंपनियों से बात करने के इच्छुक हैं और अगर कोई समस्या है, तो हम उसका हल करने का प्रयास करेंगे।’’
आईबीसी की धारा 10 स्वैच्छिक दिवाला समाधान प्रक्रिया से संबंधित है।
भाषा रमण अजय
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