केंद्र को विकास के लिए राज्य-विशिष्ट वित्तीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए: वित्त मंत्री, केरल

केंद्र को विकास के लिए राज्य-विशिष्ट वित्तीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए: वित्त मंत्री, केरल

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  • Publish Date - June 30, 2024 / 04:53 PM IST,
    Updated On - June 30, 2024 / 04:53 PM IST

(मनोज राममोहन)

नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने राज्य की वित्तीय समस्याओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार से अधिक धनराशि की मांग की है।

उन्होंने रविवार को कहा कि केंद्र को राज्यों के प्रति एक समान वित्तीय दृष्टिकोण के बजाय राज्य-विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक राज्य की विकास गतिविधियां अलग-अलग हैं।

बालगोपाल दक्षिणी राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता में आई माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के सदस्य हैं। उन्होंने जोर दिया कि समग्र विकास के बारे में एकपक्षीय सोच व्यावहारिक नहीं है और उन्होंने राज्य की आवश्यकताओं के आधार पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के उपयोग में लचीलेपन का भी आह्वान किया।

केंद्रीय निधि हस्तांतरण में कमी और उधार प्रतिबंधों पर गंभीर चिंता जताते हुए, केरल ने नकदी संकट से निपटने के लिए आगामी आम बजट में 24,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग की है।

उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, “देश के सम्पूर्ण विकास और प्रशासन के बारे में एकरूप सोच भारत में व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि देश के सम्पूर्ण विकास और एकता को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग राज्यों पर अलग-अलग तरीके से विचार किया जाना चाहिए…।”

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता के अनुसार, 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान विभाज्य पूल से केरल का हिस्सा घटकर 1.92 प्रतिशत रह गया, जबकि 10वें वित्त आयोग के दौरान यह 3.87 प्रतिशत था।

उन्होंने आशा जताई कि केंद्र सरकार राज्यों के समक्ष उपस्थित मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेगी, क्योंकि चुनाव परिणामों से विभिन्न राज्यों के मुद्दे स्पष्ट हो गए हैं।

लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) लगातार तीसरी बार सत्ता में आया। लेकिन, भाजपा को सीटें उम्मीद से कम मिलीं।

बालगोपाल ने इस बात पर जोर दिया कि राजस्व प्रबंधन और सृजन के मामले में केरल की गतिविधियां सर्वश्रेष्ठ हैं और राज्य में सामाजिक सुरक्षा उपायों की संख्या बहुत अच्छी है तथा पंचायती राज प्रणाली भी बहुत अच्छी है।

उन्होंने कहा कि 2020-21 और 2023-24 के बीच की अवधि के दौरान, राज्य का कर राजस्व लगभग 47,660 करोड़ रुपये से बढ़कर 74,258 करोड़ रुपये हो गया, जबकि इसका गैर-कर राजस्व 7,327 करोड़ रुपये से बढ़कर 16,318 करोड़ रुपये हो गया। इसी अवधि के दौरान राज्य का राजस्व घाटा 20,063 करोड़ रुपये से घटकर 17,348 करोड़ रुपये हो गया।

बालगोपाल ने कहा, “केरल के लोग और सरकार उनके कार्यों के कारण नहीं, बल्कि राज्यों के बीच आय के बंटवारे संबंधी वित्त आयोग की नीति के कारण प्रभावित हो रहे हैं।”

उन्होंने आशा व्यक्त की कि केन्द्र सरकार राज्य के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाएगी।

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय