सिएट को ‘रिप्लेसमेंट’ खंड, अंतरराष्ट्रीय टायर कारोबार में दो अंकीय वृद्धि की उम्मीद

सिएट को ‘रिप्लेसमेंट’ खंड, अंतरराष्ट्रीय टायर कारोबार में दो अंकीय वृद्धि की उम्मीद

  •  
  • Publish Date - July 21, 2024 / 02:31 PM IST,
    Updated On - July 21, 2024 / 02:31 PM IST

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) टायर विनिर्माता कंपनी सिएट लिमिटेड को चालू वित्त वर्ष में पुराने वाहन के टायर कारोबार (रिप्लेसमेंट बाजार) और अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दहाई अंक की वृद्धि की उम्मीद है। कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अर्नब बनर्जी ने हालांकि कहा कि प्राकृतिक रबड़ की ऊंची कीमत के कारण कंपनी को अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं।

कंपनी ने मई से ‘रिप्लेसमेंट’ टायर खंड में दाम 2-2.5 प्रतिशत बढ़ाए हैं। कंपनी जुलाई के अंत तक कीमतों में एक और वृद्धि कर सकती है, लेकिन वह वृद्धि को गति देने के लिए विभिन्न श्रेणियों में मजबूत मांग और ग्रामीण बाजार में सुधार पर दांव लगा रही है।

बनर्जी ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम यह सोचना चाहेंगे कि जब तक कुछ अप्रत्याशित बाधाएं न हों, वृद्धि स्थिर और सकारात्मक रहेगी। हम पुराने वाहन के टायर खंड और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में दहाई अंक की वृद्धि बनाए रखना चाहेंगे।”

मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) को कंपनी की बिक्री के बारे में उन्होंने कहा, “हम मॉडल पाइपलाइन के आधार पर सिएट के लिए यात्री खंड में तीन प्रतिशत से कहीं अधिक की वृद्धि की संभावना देखते हैं।”

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी की आमदनी में अच्छी वृद्धि हुई है, क्योंकि ग्रामीण मांग वापस आ गई है, जबकि उच्च मार्जिन वाले टायरों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

उन्होंने कहा कि ‘वाणिज्यिक वाहन और दोपहिया वाहनों (खंडों) में भी जोरदार वापसी हुई है।’

सिएट की एकीकृत परिचालन आमदनी अप्रैल-जून तिमाही में 3,192.82 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले इसी अवधि में 2,935.17 करोड़ रुपये थी।

प्राकृतिक रबड़ की कीमतों में वृद्धि के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने स्वीकार किया कि इससे मार्जिन प्रभावित हुआ है।

उन्होंने कहा, “प्राकृतिक रबड़ की कीमतें 13 साल के उच्चतम स्तर पर हैं और 200 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर गई हैं। उपलब्धता भी चिंता का विषय है।”

उन्होंने कहा कि सिएट को इस प्रभाव की आंशिक भरपाई के लिए टायर की कीमतों में वृद्धि करनी पड़ी।

भाषा अनुराग अजय

अजय