कैम्पा, अन्य कंपनियां अच्छा कर रहीं, हमारे सामने सर्वश्रेष्ठ बनने की चुनौती: कोका-कोला अध्यक्ष

कैम्पा, अन्य कंपनियां अच्छा कर रहीं, हमारे सामने सर्वश्रेष्ठ बनने की चुनौती: कोका-कोला अध्यक्ष

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  • Publish Date - January 29, 2025 / 08:35 PM IST,
    Updated On - January 29, 2025 / 08:35 PM IST

नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) कोका-कोला के वैश्विक अध्यक्ष और मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) जॉन मर्फी ने बुधवार को कहा कि कैम्पा सहित स्थानीय कंपनियां भारतीय पेय बाजार में काफी ‘अच्छा काम’ कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से उनकी कंपनी को प्रासंगिक बने रहने और नई निवेश रणनीतियों के अनुकूल ढलने में मदद मिल रही है।

भारत में पेय पदार्थों की खपत अभी भी अपेक्षाकृत कम है और भारत की युवा आबादी तथा उपभोग खर्च बढ़ने के कारण उद्योग की वृद्धि की संभावनाएं अत्यंत सकारात्मक हैं।

इसके अलावा, बढ़ते शहरीकरण ने भी पहुंच में मदद की है, जिसे देश के डिजिटलीकरण से और बढ़ावा मिला है।

मर्फी ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “सरकार ने कई वर्षों में जो निवेश किया है, उसका लाभ अब देश के लोगों को मिल रहा है। बदले में, हमारे जैसे उद्योगों के लिए अवसर पैदा हो रहे हैं। लोगों को पेय पदार्थ पीना है। हमारा काम उनकी पहली पसंद बनना है।”

जब उनसे रिलायंस इंडस्ट्रीज के ब्रांड कैम्पा से मिल रही प्रतिस्पर्धा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह हमें हमेशा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की चुनौती देता है।

मर्फी ने कहा, “जब हमारे सामने कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होती, तो हम आलसी हो जाते हैं, हम आत्मसंतुष्ट हो जाते हैं, और हम अच्छा काम तो करते हैं, लेकिन हम उतने अच्छे नहीं होते, जितने हमें होना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “…भारत के प्रतिस्पर्धियों के मामले में, कैम्पा भी है। कई स्थानीय, क्षेत्रीय कंपनियां हैं जो बहुत अच्छा काम कर रही हैं। हमारे पास वरुण (पेप्सी बॉटलर वरुण बेवरेजेज) से जुड़ी कंपनियां हैं जो बहुत अच्छा काम कर रही हैं, और यह हमारे लिए चुनौती है।”

हालांकि, उन्होंने यह कहा कि भारत में कोका-कोला का पोर्टफोलियो दुनिया में कहीं भी सबसे मजबूत है।

इसमें थम्सअप, माजा, लिम्का आदि स्थानीय ब्रांड शामिल हैं।

उद्योगपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2022 में तत्कालीन बंद हो चुके कैंपा ब्रांड का अधिग्रहण किया था और एक साल बाद इसे फिर से पेश किया।

भाषा अनुराग रमण

रमण