खरीफ सत्र में उर्वरकों पर 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने को मंजूरी

खरीफ सत्र में उर्वरकों पर 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने को मंजूरी

खरीफ सत्र में उर्वरकों पर 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने को मंजूरी
Modified Date: May 17, 2023 / 08:11 pm IST
Published Date: May 17, 2023 8:11 pm IST

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ सत्र में किसानों को किफायती मृदा पोषक तत्व मुहैया कराने के लिए बुधवार को फॉस्फेट एवं पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों पर 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी। इस तरह खरीफ सत्र के लिए कुल उर्वरक सब्सिडी आवंटन बढ़कर 1.08 लाख करोड़ रुपये हो गया।

यूरिया उर्वरक पर 70,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पहले ही की जा चुकी है।

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उर्वरक एवं रसायन मंत्री मनसुख मांडविया ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि खरीफ सत्र में उर्वरकों की अधिकतम खुदरा कीमतों (एमआरपी) में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। फसलों का खरीफ सत्र अप्रैल से शुरू होकर मार्च तक चलता है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में खरीफ सत्र 2023-24 के लिए किसानों को फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों पर 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। पिछले कुछ महीनों में पीएंडके उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें घटने से सब्सिडी बोझ में कमी आई है।

इसके साथ खरीफ सत्र के लिए सरकार का कुल सब्सिडी व्यय बढ़कर 1.08 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। वहीं 2023-24 के समूचे वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये तक जा सकती है।

मांडविया ने मंत्रिमंडल में लिए गए फैसले की संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने नाइट्रोजन के लिए 76 रुपये प्रति किलो, फॉस्फोरस के लिए 41 रुपये प्रति किलो, पोटाश के लिए 15 रुपये प्रति किलो और सल्फर के लिए 2.8 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।’’

उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश की वैश्विक कीमतें घटने से सब्सिडी बोझ कम हुआ है। मसलन, डीएपी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें 925 डॉलर प्रति टन से घटकर 530 डॉलर प्रति टन पर आ गई हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उर्वरकों के एमआरपी में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। फिलहाल यूरिया की कीमत 276 रुपये प्रति बोरी है जबकि डीएपी 1,350 रुपये प्रति बोरी पर बिक रही है। देश में यूरिया और डीएपी उर्वरकों की सबसे ज्यादा खपत होती है।

सरकार मृदा पोषक-आधारित योजना (एनबीएस) के तहत हर छह महीने पर दी जाने वाली उर्वरक सब्सिडी की घोषणा करती है। यह योजना अप्रैल, 2010 में शुरू की गई थी।

उर्वरक सब्सिडी से करीब 12 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। सरकार किसानों को घटी हुई कीमतों पर उर्वरक मुहैया कराती है। देश में करीब 1,400 लाख हेक्टेयर भूभाग में खेती होती है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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