बुच को सेवानिवृत्ति के बाद कोई वेतन भुगतान नहीं किया गयाः आईसीआईसीआई बैंक

बुच को सेवानिवृत्ति के बाद कोई वेतन भुगतान नहीं किया गयाः आईसीआईसीआई बैंक

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  • Publish Date - September 2, 2024 / 08:13 PM IST,
    Updated On - September 2, 2024 / 08:13 PM IST

नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच पर लगाए गए आरोपों पर सोमवार को कहा कि उसने अक्टूबर, 2013 में बुच की सेवानिवृत्ति के बाद से उन्हें कोई भी वेतन या ईएसओपी नहीं दिया है।

इससे पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वर्ष 2017 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का सदस्य बनने वालीं बुच ने वेतन और अन्य पारिश्रमिक के तौर पर आईसीआईसीआई बैंक से 16.8 करोड़ रुपये हासिल किए थे।

कांग्रेस ने कहा है कि सेबी चेयरमैन को 2017 से आईसीआईसीआई समूह की तरफ से 16.8 करोड़ रुपये मिले हैं, जो उन्हें बाजार नियामक से मिली आय का 5.09 गुना है।

इस आरोप पर बैंक ने बयान में कहा, ‘‘आईसीआईसीआई बैंक या इसकी समूह कंपनियों ने माधबी पुरी बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनके सेवानिवृत्ति लाभों के सिवाय कोई वेतन या कोई ईएसओपी (कर्मचारी शेयर विकल्प योजना) नहीं दिया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि उन्होंने 31 अक्टूबर, 2013 से प्रभावी सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था।’’

आईसीआईसीआई समूह में अपने कार्यकाल के दौरान बुच को बैंक की नीतियों के अनुरूप वेतन, सेवानिवृत्ति लाभ, बोनस और ईएसओपी के रूप में पारिश्रमिक मिला।

बैंक ने कहा, ‘‘हमारे नियमों के तहत ईएसओपी आवंटित किए जाने की तारीख से अगले कुछ वर्षों में मिलते हैं। बुच को ईएसओपी आवंटन किए जाते समय लागू नियमों के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों समेत बैंक कर्मचारियों के पास विकल्प था कि वे अधिकृत होने की तारीख से 10 साल की अवधि तक कभी भी अपने ईएसओपी का उपयोग कर सकते हैं।’’

इसके पहले कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि अदाणी समूह द्वारा सेबी नियमों के उल्लंघन पर की जा रही नियामकीय जांच के मामले में सेबी प्रमुख पर हितों के टकराव को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं।

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भारत सरकार ने इन सवालों को आसानी से दरकिनार कर दिया है। अब चौंकाने वाले गैरकानूनी पहलू का यह नया खुलासा हुआ है।’’

आईसीआईसीआई बैंक ने अपने बयान में कहा कि बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद किए गए सभी भुगतान आईसीआईसीआई समूह में काम करते समय उनके द्वारा अर्जित किए गए थे। इन भुगतानों में ईएसओपी और सेवानिवृत्ति लाभ भी शामिल हैं।

बयान में कहा गया है कि आयकर नियमों के मुताबिक, ईएसओपी आवंटन और उसके क्रियान्वयन के दिन स्टॉक की कीमत के बीच के अंतर को अनुलाभ आय माना जाता है और उसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों के फॉर्म 16 के भाग बी में दर्शाया जाता है।

बैंक को इस आय पर अनुलाभ कर काटना जरूरी है। इसके अलावा, फॉर्म-16 में पूर्व कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति लाभों के लिए किए गए भुगतान को भी शामिल किया गया है।

सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने पिछले महीने जारी एक रिपोर्ट में अदाणी समूह के साथ परोक्ष संबंधों के आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि अदाणी समूह के वित्तीय हेराफेरी मामले में इस्तेमाल किए गए विदेशी कोष में बुच और उनके पति की भी हिस्सेदारी थी।

हालांकि, बुच ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उनके वित्तीय मामले खुली किताब हैं। अदाणी समूह ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताया है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय