बजट: खुदरा निवेशकों की भागीदारी कम करने के लिए एफएंडओ पर एसटीटी बढ़ाने का प्रस्ताव

बजट: खुदरा निवेशकों की भागीदारी कम करने के लिए एफएंडओ पर एसटीटी बढ़ाने का प्रस्ताव

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  • Publish Date - July 23, 2024 / 01:39 PM IST,
    Updated On - July 23, 2024 / 01:39 PM IST

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वायदा और विकल्प (एफएंडओ) कारोबार में प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) की दर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। इस फैसले का मकसद जोखिम भरे कारोबार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी को कम करना है।

उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा, ‘‘प्रतिभूतियों में विकल्प की बिक्री पर एसटीटी की दर को विकल्प प्रीमियम के 0.0625 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.1 प्रतिशत करने और प्रतिभूतियों में वायदा की बिक्री पर एसटीटी की दर को ऐसे वायदा कारोबार की कीमत के 0.0125 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.02 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।”

इससे पहले आर्थिक समीक्षा में वायदा-विकल्प कारोबार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती रुचि पर चिंता जाहिर की गई थी। इसमें कहा गया था कि विकासशील देश में सट्टा कारोबार के लिए कोई जगह नहीं है।

समीक्षा में शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती संख्या को लेकर आगाह करते हुए कहा गया था कि बाजार की वास्तविक स्थितियों को समझे बिना अधिक रिटर्न की उम्मीद कर पैसा लगाना चिंता का विषय है।

पिछले कुछ साल में भारतीय पूंजी बाजार में गतिविधियां बढ़ी हैं। लोग डीमैट खातों के माध्यम से बाजार में शेयरों की प्रत्यक्ष खरीद-बिक्री कर रहे हैं या फिर परोक्ष रूप से म्यूचुअल फंड के माध्यम से बाजार में निवेश कर रहे हैं।

समीक्षा के अनुसार, इक्विटी नकदी खंड कारोबार में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023-24 में 35.9 प्रतिशत थी। दोनों डिपॉजिटरी के पास डीमैट खातों की संख्या वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 15.14 करोड़ हो गई, जो 2022-23 में 11.45 करोड़ थी।

एनएसई में पंजीकृत निवेशकों की संख्या मार्च, 2020 के मुकाबले लगभग तीन गुना बढ़कर 31 मार्च, 2024 तक 9.2 करोड़ हो गई है। इसका अर्थ यह है कि अब 20 प्रतिशत भारतीय परिवार अपनी घरेलू बचत को वित्तीय बाजारों में लगा रहे हैं।

समीक्षा में निवेशकों में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें निरंतर वित्तीय रूप से शिक्षित करने का आह्वान किया गया है। ताकि उन्हें डेरिवेटिव कारोबार के फायदा और नुकसान के बारे में आगाह किया जा सके।

सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने पिछले सप्ताह कहा था कि पूंजी बाजार नियामक वायदा और विकल्प (एफएंडओ) खंड में सट्टा दांव के खिलाफ चेतावनी देने के लिए मजबूर है। उन्होंने कहा कि यह एक व्यापक मुद्दा बन गया है, जो अब अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।

बुच ने कहा कि घरेलू बचत सट्टेबाजी में जा रही है और युवा ऐसे कारोबार में ढेर सारा पैसा खो रहे हैं। इससे घरेलू बचत का इस्तेमाल पूंजी निर्माण के लिए नहीं हो पा रहा है।

बाजार नियामक के एक शोध के मुताबिक, निवेशक एफएंडओ खंड में 10 में नौ सौदों में नुकसान उठाते हैं।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय