नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) वित्तीय सेवा प्रदाता बार्कलेज ने बृहस्पतिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में सरकार को खपत और मांग को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत आयकर में ‘असरदार’ कटौती की घोषणा करनी चाहिए।
बार्कलेज ने एक फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से पहले कहा कि इस बजट से मुख्य मांग राजकोषीय मजबूती की राह पर चलने के साथ आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने की है।
बार्कलेज की मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) आस्था गुडवानी ने एक बयान में कहा कि उपभोग को समर्थन देने के प्रयास में वित्त मंत्री को कर स्लैब में बदलाव कर व्यक्तिगत आयकर दर में ‘असरदार’ कटौती करनी चाहिए। ऐसा करने से राजकोषीय लागत ज्यादा बढ़ने की आशंका नहीं है।
गुडवानी ने कहा, ‘इस घोषणा के तहत कर में उछाल से राजस्व में आई कमी की भरपाई हो जाएगी। हमें लगता है कि खपत को बढ़ावा देने की जरूरत है, खासकर निजी निवेश के साथ जो अब मांग में वृद्धि का इंतजार कर रहा है।’
बार्कलेज को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नई कर व्यवस्था के प्रावधानों में बदलावों का ऐलान करेंगी जिससे यह अधिक करदाताओं के लिए आकर्षक बन जाएगी।
पिछले बजट में सरकार ने नई कर व्यवस्था के तहत वेतनभोगी करदाताओं के लिए मानक कटौती को बढ़ाकर 75,000 रुपये और पेंशनभोगियों के लिए पारिवारिक पेंशन पर कटौती को बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया था, जो करों की कम दर प्रदान करता है।
बार्कलेज ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रित करते हुए खर्च-योग्य आय और क्रय शक्ति को बढ़ावा देने का एक और संभावित विकल्प ईंधन के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती हो सकता है। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी के बावजूद ईंधन की खुदरा कीमतें 2022 से ही लगभग स्थिर बनी हुई हैं।
इसके साथ ही बार्कलेज ने कहा कि बजट में सीमा शुल्क की घोषणाएं अमेरिका में ट्रंप प्रशासन आने के बाद शुल्क को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया को समझने के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगी।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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