घरेलू मांग को बढ़ाने के लिए बजट में हो सकती है पूंजीगत व्यय में वृद्धि की घोषणा : ईवाई

घरेलू मांग को बढ़ाने के लिए बजट में हो सकती है पूंजीगत व्यय में वृद्धि की घोषणा : ईवाई

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  • Publish Date - January 30, 2025 / 04:29 PM IST,
    Updated On - January 30, 2025 / 04:29 PM IST

नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) अगले वित्त वर्ष (2025-26) के बजट में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत व्यय में 20 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया जा सकता है। इससे लोगों के हाथ खर्च के लिए अधिक पैसा होगा। इसके अलावा अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा जा सकता है। वित्तीय सेवा कंपनी ईवाई ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है।

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत को वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए घरेलू मांग पर काफी हद तक निर्भर रहना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा, “…इसलिए अगले वित्त वर्ष (2025-26) के बजट में भारत सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि की गति को बहाल किया जाना चाहिए। इसे कुछ दरों को तर्कसंगत बनाने और आयकर कटौती के माध्यम से पूरक बनाया जा सकता है, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत, विशेष रूप से निम्न आय और निम्न मध्यम आय वर्ग के लोगों के हाथों में खर्च योग्य आय को बढ़ाना है।”

आगामी बजट में राजकोषीय मोर्चे और विकासोन्मुख उपायों के बीच संतुलन होना चाहिए।

श्रीवास्तव ने कहा, “पूंजीगत व्यय में वृद्धि तथा उपभोक्ताओं, विशेषकर शहरी उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक खर्च योग्य आय उपलब्ध कराना, घरेलू मांग में वृद्धि को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।”

ईवाई इकनॉमी वॉच की जनवरी, 2025 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सरकार अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है, जिससे अगले वित्त के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.4 प्रतिशत पर आ जाएगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 4.9 प्रतिशत के घाटे का लक्ष्य रखा है और ईवाई को उम्मीद है कि एक फरवरी को पेश किए जाने वाले 2025-26 के बजट में संशोधित अनुमानों में यह आंकड़ा 4.8 प्रतिशत पर आ जाएगा।

वित्तीय परामर्श कंपनी डेलॉयट की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार का कहना है कि मुद्रास्फीति लंबे समय तक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसके चलते आगामी बजट में भी इस पर खासा ध्यान देना होगा। आर्थिक समीक्षा में सिफारिश की गई है कि भारत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य से संबंधित ढांचे में खाद्य कीमतों को शामिल न किया जाए, क्योंकि खाद्य मुद्रास्फीति मुख्य रूप से मांग आधारित होने के बजाय आपूर्ति पर आधारित होती है।

उन्होंने कहा कि हम कृषि मूल्य शृंखला को मजबूत बनाने, उत्पादन को प्रोत्साहित करने और आपूर्ति-पक्ष के ढांचागत मुद्दों का समाधान निकालने के उद्देश्य से दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद करते हैं। असल में इन मुद्दों के चलते वितरण लागत में बढ़ोतरी होती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी।

भाषा अनुराग अजय

अजय