कोटा (राजस्थान), 25 जनवरी (भाषा) राजस्थान के कोटा शहर के व्यवसायी और उद्योगपति अपनी किस्मत बदलने के लिए आईटी और पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर उम्मीदें टिकाए हुए हैं, और आगामी आम बजट में इन क्षेत्रों के लिए अनुकूल घोषणाओं की उम्मीद कर रहे हैं।
गौरतलब है कि छात्रों के आत्महत्या करने की घटनाओं ने शहर में कोचिंग सेंटरों को प्रभावित किया है और इस वजह से कोटा कठिन वक्त से गुजर रहा है।
पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान 1,400 करोड़ रुपये की लागत से बने चंबल रिवरफ्रंट के साथ, इस क्षेत्र में अब कोटा और बूंदी में दो बाघ अभयारण्य हैं। इसके अलावा यहां ऐतिहासिक स्थानों, विरासत स्थलों, प्राचीन मंदिरों और दीवार चित्रों के कारण पर्यटन के विकास की बड़ी संभावनाएं हैं।
कोटा-बूंदी से गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और प्रस्तावित अत्याधुनिक हवाई अड्डे के साथ इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की भी क्षमता है।
कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव और राजस्थान छात्रावास महासंघ के कोटा संभाग के अध्यक्ष अशोक माहेश्वरी ने केंद्र से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियों की घोषणा करने का आग्रह किया।
उन्होंने कोटा में एक औद्योगिक गलियारा स्थापित करने और कोटा पत्थर बजाार की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की भी वकालत की।
कोटा में रियल एस्टेट से जुड़े वरिष्ठ इंजीनियर डी एन नैनई ने कोटा-बूंदी से सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित स्थानीय नेताओं से आम बजट में इस क्षेत्र के लिए आईटी केंद्र बनाने को दबाव बनाने की अपील की।
आर्किटेक्ट सेवा मुहैया कराने वाले राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि कोटा की अर्थव्यवस्था अभी मंदी में है और यहां के लोगों को आम बजट से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने कृषि आधारित उद्योगों और प्रसंस्करण इकाइयों के लिए प्रोत्साहन देने तथा कर स्लैब में छूट की मांग की।
कोटा विश्वविद्यालय की शोध छात्रा गरिमा सक्सेना ने आम बजट में शोध कार्यक्रमों के लिए और अधिक धनराशि तथा छात्रों के लिए आवश्यकता-आधारित छात्रवृत्ति कार्यक्रमों का आग्रह किया।
स्नातक अंतिम वर्ष की छात्रा दामिनी चतुर्वेदी ने अत्यधिक परीक्षा शुल्क की ओर इशारा किया और केंद्रीय वित्त मंत्री से इसे कम करने का आग्रह किया। एक कोचिंग संस्थान में मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता सुजीत स्वामी ने कहा कि सरकार को कोटा में मानसिक स्वास्थ्य और मनोरोग देखभाल पर एक राष्ट्रीय स्तर का संस्थान स्थापित करना चाहिए।
भाषा पाण्डेय
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