बजट में 11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा जाए : इक्रा

बजट में 11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा जाए : इक्रा

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  • Publish Date - January 15, 2025 / 03:33 PM IST,
    Updated On - January 15, 2025 / 03:33 PM IST

नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बुधवार को कहा कि सरकार को अगले वित्त वर्ष के बजट में 11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखना चाहिए जबकि उपभोक्ता व्यय को बढ़ावा देने के लिए मुद्रास्फीति-समायोजित व्यक्तिगत आयकर पर राहत देनी चाहिए।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले बजट में रिकॉर्ड 11.11 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय अनुमान से लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये कम रहने की संभावना है। ऐसे में अगले बजट का लक्ष्य पिछले साल के स्तर पर तय किया जाना चाहिए।

इसके साथ ही नायर ने कहा कि पूंजीगत व्यय चालू वित्त वर्ष में बजट लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी रफ्तार से पीछे चल रहा है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान पूंजीगत व्यय 5.13 लाख करोड़ रुपये रहा है जो 11.11 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान का 46 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष के बाकी चार महीनों में ही सरकार को 54 प्रतिशत व्यय करना होगा।

नायर ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा, ‘‘हम चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय में बड़ी गिरावट देख रहे हैं। अगले साल के लिए उम्मीद है कि पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देने के लिए राजकोषीय गुंजाइश बनेगी। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 4.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटा लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। इससे 11 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय किया जा सकेगा जो चालू वित्त वर्ष के संभावित आंकड़ों से 11-12 प्रतिशत अधिक होगा।’’

उन्होंने बजट में आयकर से जुड़ी अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर कहा कि आयकर स्लैब और दरों में कुछ बदलाव होने से शहरी करदाताओं की मनोदशा को बेहतर करने में मदद मिलेगी।

नायर ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति खर्च के लायक आमदनी को खत्म कर देती है। कर में राहत की मांग अनुचित नहीं है। हालांकि, कर राहत के मामले में कुछ मामूली रियायतें दी जा सकती हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम बहुत अधिक लोगों को आयकर के दायरे से बाहर न करें।’’

उन्होंने कहा कि ऐसा करते समय यह ध्यान रखना होगा कि कर राजस्व में बहुत अधिक गिरावट न आए और बहुत अधिक करदाताओं को कर के दायरे से बाहर न किया जाए।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘शायद आयकर के निचले स्लैब की दरों में बदलाव किया जाए या स्लैब में मुद्रास्फीति को समायोजित कर शुरुआत में ही थोड़ी राहत दी जाए।’’

वर्तमान में व्यक्तिगत करदाता या तो पुरानी कर व्यवस्था के तहत अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल कर सकते हैं जो कटौती और छूट का लाभ प्रदान करती है या नई कर व्यवस्था के तहत जो करों की कम दर प्रदान करती है।

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

अजय