नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने शुक्रवार को कहा कि वह कृषि क्षेत्र में गुणवत्ता और सर्वोत्तम गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कृषि संहिता (एनएसी) विकसित कर रहा है।
कृषि संहिता में उभरती कृषि प्रौद्योगिकियों, नवीन कृषि गतिविधियों और भारत भर में बदलती क्षेत्रीय स्थितियों को शामिल किया जाएगा। इस संहिता को विकसित करने में, जिन क्षेत्रों में मानकीकरण की कमी है, उनकी पहचान की जाएगी और उनके लिए मानक विकसित किए जाएंगे।
यह बीआईएस द्वारा विकसित अन्य सफल संहिताओं जैसे राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी) और निर्माण तथा बिजली के लिए राष्ट्रीय विद्युत संहिता (एनईसी) के अनुरूप है।
कृषि संहिता के विकास में तेजी लाने के लिए एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए, बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा, ‘‘जबकि कृषि मशीनरी, उपकरण और कच्चे माल के लिए मानक मौजूद हैं, एनएसी नीति निर्माताओं को आवश्यक संदर्भ और कृषक समुदाय को मार्गदर्शन प्रदान करके भारतीय कृषि में गुणवत्ता संस्कृति को सक्षम करने वाले के रूप में कार्य करेगा।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि संहिता के विकास के लिए मुख्य विचारों में इसका दृष्टिकोण, संरचना, सहभागिता के लिए विभिन्न तरीके, संस्थागत तत्परता और प्रदर्शनों का महत्व शामिल होगा।
बीआईएस के उप महानिदेशक (मानकीकरण) संजय पंत ने कहा कि एनएसी में किसानों के लिए अधिक अनुकूल परिवेश बनाकर भारत के कृषि क्षेत्र को बदलने की अपार क्षमता है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करके और कुशल तथा टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देकर, एनएसी ग्रामीण भारत में लाखों लोगों की आजीविका में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है।’’
कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) की इकाइयों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
भाषा राजेश राजेश रमण
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