बायो-ई3 नीति भारत में जैव-क्रांति का सूत्रपात करेगीः जितेंद्र सिंह

बायो-ई3 नीति भारत में जैव-क्रांति का सूत्रपात करेगीः जितेंद्र सिंह

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  • Publish Date - September 12, 2024 / 03:19 PM IST,
    Updated On - September 12, 2024 / 03:19 PM IST

नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार की बायो-ई3 नीति भारत को वैश्विक जैव-अर्थव्यवस्था के अगुवा के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह पश्चिमी दुनिया में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्रांति के समान भारत में ‘जैव क्रांति’ को जन्म देगी।

पिछले महीने पेश की गई बायो-ई3 नीति का उद्देश्य विशेष रसायन, एंजाइम, बायो-पॉलिमर, स्मार्ट प्रोटीन, पशु चिकित्सा उत्पादों, सटीक जैव-चिकित्सा के नवाचार एवं जैव-विनिर्माण के लिए जैविक संसाधनों के टिकाऊ और कुशल उपयोग को सुगम बनाना है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सिंह ने यहां ‘वैश्विक जैव-भारत सम्मेलन 2024’ को संबोधित करते हुए कहा कि यह नीति भारत को वैश्विक जैव-अर्थव्यवस्था के अगुवा के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने वैश्विक जैव-प्रौद्योगिकी मंच को अहम बताते हुए कहा कि यह स्टार्टअप, एसएमई, बड़े उद्योगों, शोध संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय निकायों समेत विभिन्न हितधारकों को साथ लेकर आता है।

सिंह ने बायो-फार्मा, बायो-एनर्जी और बायो-इंडस्ट्रियल जैसे क्षेत्रों में अवसरों की विस्तृत शृंखला का उल्लेख करते हुए कहा कि बायो-ई3 नीति अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण के लिए जैव प्रौद्योगिकी पर केंद्रित है।

उन्होंने कहा कि यह नीति पश्चिमी दुनिया में आईटी क्रांति की तरह ‘जैव-क्रांति’ का सूत्रपात करने के लिए तैयार है जो जैव-आधारित रसायनों, जलवायु-अनुकूल कृषि और कार्बन नियंत्रण जैसे क्षेत्रों का समर्थन करती है।

उन्होंने देशभर में जैव-प्रौद्योगिकी केंद्र के निर्माण की रूपरेखा भी पेश की जो स्टार्टअप और स्थापित कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा और शोध एवं वाणिज्यिक विनिर्माण के बीच की खाई पाटने में मदद करेगा। इन केंद्रों से दूसरे एवं तीसरे दर्जे के शहरों में नए रोजगार भी पैदा होने की उम्मीद है।

भारत का जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग 2014 में 10 अरब डॉलर था और यह बढ़कर 2020 में 100 अरब डॉलर हो गया था। इसके 2030 तक 300 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय