कोविड- 19 संकट में दबाव झेल रही कंपनियों को दिवाला प्रक्रिया से बचाने वाला विधेयक संसद से पारित | Bill to protect companies under pressure in Covid-19 crisis from insolvency process passed by Parliament

कोविड- 19 संकट में दबाव झेल रही कंपनियों को दिवाला प्रक्रिया से बचाने वाला विधेयक संसद से पारित

कोविड- 19 संकट में दबाव झेल रही कंपनियों को दिवाला प्रक्रिया से बचाने वाला विधेयक संसद से पारित

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:09 PM IST
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Published Date: September 21, 2020 6:06 pm IST

नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) कोविड-19 महामारी के दौरान संकट में आई कंपनियों को दिवाला प्रक्रिया में धकेले जाने से बचाने के लिये लाये गये दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक 2020 को सोमवार को संसद ने मंजूरी दे दी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि इस प्रावधान से 25 मार्च से पहले शुरू की गई दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिये 25 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लागू किया था।

सीतारमण ने कहा, ‘‘महामारी के कारण दबाव झेल रही कंपनियों को दिवाला प्रक्रिया में धकेले जाने से हमें रोकना होगा।’’ उन्होंने कहा कि कई देशों ने मौजूदा संकट से उबारने के लिये कंपनियों की मदद की है।

यह संशोधन विधेयक इस संबंध में जारी किये गये अध्यादेश का स्थान लेने के लिये लाया गया है। अध्यादेश इस साल जून में लाया गया था। सीतारमण के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को पारित कर दिया। राज्यसभा इसे पहले ही शनिवार को पारित कर चुकी है।

दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता प्रक्रिया में जाने से कंपनियों को छह माह के लिये राहत दी गई है यह अवधि 25 सितंबर को समाप्त हो रही है। अब इस राहत को और छह माह बढ़ाने के लिये इस सप्ताह के अंत तक निर्णय लिया जा सकता है। विधेयक में हालांकि, इस अवधि को एक साल तक बढ़ाने का प्रावधान पहले ही किया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा जिन कंपनियों के खिलाफ कर्ज नहीं चुकाने के कारण दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता प्रक्रिया 25 मार्च से पहले चल रही है संहिता में किये गये संशोधन से उनके खिलाफ जारी प्रक्रिया नहीं रुकेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न सत्रों के बीच यदि जमीनी स्थिति की मांग होती है, तो अध्यादेश लाने की जरूरत पड़ती है। एक जिम्मेदार सरकार का दायित्य अध्यादेश का इस्तेमाल कर यह दिखाना होता है कि वह भारत के लोगों के साथ है।’’

सीतारमण ने कहा, ‘‘ऐसे में हमने आईबीसी की धारा 7, 9, 10 में किये गये बदलाव से हम असाधारण परिस्थितियों की वजह से दिवाला होने जा रही कंपनियों को बचा पाए।’’

उल्लेखनीय है कि आईबीसी की धारा 7, 9 और 10 किसी कंपनी के वित्तीय ऋणदाता, परिचालन के लिए कर्ज देने वालों को उसके खिलाफ दिवाला ऋणशोधन अक्षमता प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित है।

वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि आईबीसी का मकसद कंपनियों को चलताहाल बनाए रखना है, उनका परिसमापन करना नहीं है।

वित्त मंत्री ने गैर-निष्पादित राशियों (एनपीए) के मामले में बैंकों की रिण वसूली के बारे में आंकड़े देते हुये कहा कि 2018- 19 में लोक अदालतों के जरिये बैंक 5.3 प्रतिशत फंसे कर्ज की वसूली कर पाये, वहीं रिण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) 3.5 प्रतिशत और सरफेइसी कानून के तहत बैंकों का 14.5 प्रतिशत कर्ज ही वसूला जा सका। इसके विपरीत आईबीसी कानून के अमल में आने के बाद बैंकों के फंसे कर्ज की 42.5 प्रतिशत वसूली की गई है।

उन्होंने कहा कि आईबीसी प्रक्रिया के जरिये 258 कंपनियों को दिवालिया होने से बचाया गया जबकि 965 कंपनियां परिसमापन के लिये गई। जिन कंपनियों को बचाया गया उनकी संपत्तियां 96,000 करोड़ रुपये जबकि परिसमापन के लिये भेजी गई कंपनियों की संपत्तियां 38,000 करोड़ रुपये की रहीं।

वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में न्यायधीशों की नियुक्ति से संबंधित सदस्यों द्वारा उठाई गई चिंताओं के बारे में कहा कि वह इससे अवगत हैं और इनका समाधान किया जा रहा है।

इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुये कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस महामारी शुरू होने से पहले ही खराब हालात में पहुंच गई थी। उन्होंने सरकार से मांग बढ़ाने वाले उपायों पर ध्यान देने को कहा और गरीबों को मौद्रिक मदद देने पर जोर दिया।

टीडीपी के जयदेव गल्ला ने एनसीएलटी की अधिक शाखायें खोलने और न्यायाधिकरण में खाली पदों को भरने के लिये कहा।

भाषा

महाबीर रमण

रमण

 

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