बायर क्रॉपसाइंस ने बीटी कपास में बढ़ते कीट प्रतिरोध से निपटने के संयुक्त प्रयासों की वकालत की

बायर क्रॉपसाइंस ने बीटी कपास में बढ़ते कीट प्रतिरोध से निपटने के संयुक्त प्रयासों की वकालत की

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  • Publish Date - September 15, 2024 / 04:39 PM IST,
    Updated On - September 15, 2024 / 04:39 PM IST

(लक्ष्मी देवी ऐरे)

नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) कपास में बढ़ते कीट प्रतिरोध से निपटने के लिए उद्योग के साथ तत्काल सहयोग और नियामकीय समर्थन की जरूरत है।

बायर क्रॉपसाइंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) साइमन वीबुश ने विकासशील देशों में आर्थिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए यह बात कही।

उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में नए लक्षणों में निवेश को उचित ठहराने के लिए अनुकूल मूल्य निर्धारण वातावरण की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने कृषि लागत को कम करने और वर्तमान जीएम प्रौद्योगिकी से बचने वाले कीटों का प्रबंधन करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन की भी वकालत की।

उन्होंने महत्वपूर्ण कपास क्षेत्र में भारत-विशिष्ट लक्षण विकसित करने की व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए सरकार, अकादमिक और उद्योग के बीच चर्चा के महत्व पर जोर दिया।

बैसिलस थुरिंजिएन्सिस (बीटी) कपास एकमात्र जीएम फसल है जिसे भारत में व्यावसायिक खेती के लिए मंजूरी दी गई है। इसे 2002 में जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) से मंजूरी मिली। तब से भारत में कुल कपास क्षेत्र का लगभग 96 प्रतिशत बीटी कपास के साथ लगाया गया है।

बायर दक्षिण एशिया के भी अध्यक्ष वीबुश ने कहा कि भारत द्वारा कपास की फसल में बोल्गार्ड दो जीएम तकनीक को सफलतापूर्वक अपनाने से यह दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक में बदल गया है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि कुछ नया विकास नहीं होने की वजह से समय के साथ प्रौद्योगिकी की दक्षता कम हो गई है।

बीटी कपास की उत्पादकता में कमी के हल के लिए वीबुश ने प्रौद्योगिकी अद्यतन की वकालत की।

भाषा अजय पाण्डेय

अजय