जीडीपी गणना के लिए आधार वर्ष बदलकर 2022-23 करने पर विचार

जीडीपी गणना के लिए आधार वर्ष बदलकर 2022-23 करने पर विचार

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  • Publish Date - November 29, 2024 / 04:09 PM IST,
    Updated On - November 29, 2024 / 04:09 PM IST

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) सरकार अर्थव्यवस्था की सटीक तस्वीर को दर्शाने के लिए जीडीपी की गणना को लेकर आधार वर्ष बदलकर 2022-23 करने पर विचार कर रही है। यह फरवरी 2026 से अमल में आएगा।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के सचिव सौरभ गर्ग ने यह जानकारी दी।

जीडीपी गणना के लिए आखिरी बार 2011-12 में संशोधन किया गया था और यह एक दशक से अधिक समय में पहला संशोधन होगा।

गर्ग ने यहां एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि मंत्रालय अगले साल जनवरी से निश्चित अवधि पर होने वाले श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के मासिक अनुमान लाएगा।

उन्होंने कहा, ”अगला आधार वर्ष (जीडीपी) 2022-23 होगा… इसे फरवरी 2026 से लागू किया जाएगा।”

विश्वनाथ गोल्डर की अध्यक्षता में गठित 26 सदस्यीय राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी सलाहकार समिति (एसीएनएएस) के 2026 की शुरुआत तक यह काम पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है।

आधार वर्ष को नियमित रूप से संशोधित करना इसलिए जरूरी है, ताकि सूचकांक अर्थव्यवस्था की संरचना में बदलावों को सटीक रूप से दिखाए। जैसे कि उपभोग के रुझानों में बदलाव, क्षेत्र भार और नए क्षेत्रों का समावेश।

गर्ग ने कहा कि मंत्रालय आर्थिक जनगणना की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है।

उन्होंने आंकड़ा आधारित निर्णय लेने को बढ़ावा देने की भी वकालत की।

गर्ग ने दुख जताया कि कुछ प्रभावशाली लोग मंत्रालय के सर्वेक्षण करने वालों से बात करने से इनकार कर रहे हैं।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण