अपराध से धन अर्जित करने या अनुचित लाभ की आशंका को धन शोधन नहीं कहा जा सकता: अदालत

अपराध से धन अर्जित करने या अनुचित लाभ की आशंका को धन शोधन नहीं कहा जा सकता: अदालत

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  • Publish Date - December 25, 2024 / 01:56 PM IST,
    Updated On - December 25, 2024 / 01:56 PM IST

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज कोयला घोटाला मामले में आधुनिक कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसीएल) और उसके दो निदेशकों के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है।

अदालत ने कहा कि अपराध से धन अर्जित करने या अनुचित लाभ की आशंका को धन शोधन नहीं कहा जा सकता।

विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने 23 दिसंबर के अपने आदेश में आधुनिक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसीएल) और उसके तत्कालीन निदेशकों महेश कुमार अग्रवाल और निर्मल कुमार अग्रवाल को ओडिशा में न्यू पात्रा पारा कोयला ब्लॉक से संबंधित मामले में राहत प्रदान की।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा था कि आरोपियों के परिवार के सदस्यों और समूह कंपनियों ने एसीएल में शेयर पूंजी की आड़ में 50.37 करोड़ रुपये की धनराशि डाली। इससे एसीएल को अनुसूचित अपराध (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज) से संबंधित आपराधिक गतिविधि से ‘‘अनुचित लाभ प्राप्त होने’’ की आशंका है जिसके परिणामस्वरूप कोयला ब्लॉक का आवंटन हुआ।

न्यायाधीश ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार एसीएल में ‘होल्डिंग’ कंपनी के जरिये पूंजी/निवेश का प्रवाह, अनुसूचित अपराध से संबंधित आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप एसीएल द्वारा प्राप्त किए जाने वाले अनुचित लाभ की ‘‘आशंका’’ में किया गया।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ इसलिए जैसा कि शिकायतकर्ता (ईडी) ने खुद कहा है कि लाभ अभी प्राप्त नहीं हुआ और केवल इसका अनुमान लगाया गया है।’’

उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने स्वयं कहा है कि आरोपी अपराध की आय अर्जित करने का प्रयास कर रहे थे और अनुचित लाभ की उम्मीद में थे, ‘‘ जिसका मतलब है कि अपराध की आय अभी अस्तित्व में नहीं आई थी।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ इसलिए अपराध की आय अर्जित करने या अनुचित लाभ की आशंका करने के प्रयास को धन शोधन के अंतर्गत नहीं माना जा सकता, क्योंकि प्रयास के चरण या अनुचित लाभ की आशंका के चरण तक अपराध की कोई आय अस्तित्व में नहीं होती। शोधन के लिए कोई धन उपलब्ध नहीं है।’’

गौरतलब है कि इससे पहले सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के एक संबंधित मामले में आरोपियों को दोषी ठहराया गया था। यह मामला तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और जाली दस्तावेजों को असली के रूप में इस्तेमाल कर कोयला ब्लॉक के आवंटन में सरकार के साथ धोखा करने से जुड़ा था।

हालांकि विशेष अदालत द्वारा दी गई उनकी चार वर्ष की जेल की सजा पर बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा