नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) पाम, पामोलीन तेल के महंगा रहने के बीच सरसों, सोयाबीन जैसे बाकी तेल-तिलहनों की बढ़ती मांग के साथ-साथ सर्दियों की मांग के कारण बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहनों की कीमतें मजबूती के साथ बंद हुईं।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि पाम-पामोलीन के दाम ऊंचा रहने के बीच इसकी मांग और आयात प्रभावित हुआ है। इस तेल की कमी को पूरा करने का दबाव अब सोयाबीन और सरसों जैसे तिलहनों पर आ रहा है, जिससे बाकी तेल-तिलहन के दाम भी सुधर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सीपीओ का जो दाम पिछले सप्ताह 1,180-1,185 डॉलर प्रति टन था वह बीते सप्ताह सुधरकर 1,240-1,245 डॉलर प्रति टन हो गया। यानी सोयाबीन रिफाइंड तेल के आयात की तुलना में पामोलीन तेल का आयात जो पहले 10 रुपये किलो महंगा बैठता था वह अब लगभ 17 रुपये किलो महंगा हो चला है। अब पाम-पामोलीन आम उपभोक्ता की पहुंच से दूर हो चला है। वैसे पाम-पामोलीन के केवल दाम ही बढ़ रहे हैं लेकिन इसके लिवाल नहीं दिखते।
मौजूदा महंगे भाव पर इस तेल का खपना मुमकिन नहीं है। केवल दाम में ही बढ़त दिखती है।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग बढ़ी है। विदेशों में सोयाबीन के दाम बढ़ने और रुपये के कमजोर होने के बीच स्थानीय डीओसी की मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल-तिलहन में सुधार है। पाम-पामोलीन की कमी को पूरा करने तथा जाड़े की मांग बढ़ने से बाकी तेल-तिलहन में भी सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से वर्ष 2020-21 में कपास खेती का रकबा 132.86 लाख हेक्टेयर था और यह अब घटकर 112.60 लाख हेक्टेयर रह गया है।
उन्होंने कहा कि किसानों की आड़ में वायदा कारोबार की वकालत करने वाले लोगों को इस एक बात से सीखना चाहिये कि 2020-21 में बिनौला खल का दाम वायदा कारोबार में 3,000-3,200 रुपये क्विंटल था। उस वक्त दूध का दाम 40-45 रुपये लीटर था। अब उस दूध का दाम 60-65 रुपये लीटर हो चला है लेकिन वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम लगभग 2,660 रुपये क्विंटल रह गया है।
सूत्रों ने कहा कि बिनौला खल की गिरावट के कारण मूंगफली किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मूंगफली में तेल के मुकाबले खल अधिक निकलता है जो बिनौला खल का दाम टूटने की वजह से खप नहीं रहा। इस कारण पेराई मिलें मूंगफली दाना नहीं खरीद रही हैं और गुजरात में लगभग 50 प्रतिशत मूंगफली पेराई मिलें बंद हो गई हैं। भारतीय कपास निगम द्वारा तीन बार कपास नरमा का दाम बढ़ाने के बाद भी वायदा कारोबार में बिनौला खल के दाम में उचित वृद्धि नहीं हो पाई है।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 150 रुपये की तेजी के साथ 6,650-6,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 325 रुपये की तेजी के साथ 13,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 65-65 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,330-2,430 रुपये और 2,330-2,455 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 150-150 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,325-4,375 रुपये और 4,025-4,125 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 450 रुपये, 400 रुपये और 375 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 13,400 रुपये, 13,100 रुपये और 9,325 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले तेजी देखने को मिली। मूंगफली तिलहन का भाव 100 रुपये की तेजी के साथ 5,925-6,250 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ, वहीं मूंगफली तेल गुजरात 350 रुपये की तेजी के साथ 14,400 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 40 रुपये की तेजी के साथ 2,170-2,470 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 700 रुपये बढ़कर 13,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 650 रुपये की तेजी के साथ 14,450 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 750 रुपये की तेजी के साथ 13,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
तेजी के आम रुख के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 500 रुपये की तेजी के साथ 12,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
अजय
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